शिमला ( हिमाचल वार्ता न्यूज)राजधानी शिमला में मकर संक्रांति का त्योहार रविवार को धूमधाम से मनाया गया। शहर के बाजारों में जगह-जगह प्रसाद के तौर खिचड़ी और घी बांटा गया। मंदिरों में भी सुबह-सुबह श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। जगह-जगह लगे खिचड़ी के भंडारों में लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। इसके अलावा मूंगफली व रेवड़ी बांटी गई। सूर्य के उत्तरायण होने पर प्रत्येक वर्ष की 14 जनवरी को पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। वहीं, धार्मिक स्थलों पर पहाड़ों पर बसे ग्रामीण क्षेत्रों में साजे का बड़ा महत्त्व है। ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रांति को साजा कहा जाता है। माघ महीने के साजे को सबसे बड़ा और विशेष माना जाता है। साजे के दिन की शुरुआत लाल चावलों से बनी खिचड़ी से होती है, जिसे किसर कहते हैं। उस पर अखरोट, खुमानी की गुटली और भंगजीरी दाने का बुरा और घी लगाया जाता है। साजे को पुरखों को याद करने का एक पवित्र अवसर माना जाता है। सुबह जब खिचड़ी बनती तो सबसे पहले पूर्वजों को याद करते हुए पितरों को समर्पित की जाती है। फिर बच्चों में बंटती और बड़े भी लुत्फ उठाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ खुश होते हैं। सुबह किसर और शाम के वक्त पूरी, मालपूहे, उड़द दाल के बड़े और शाकुली बनाई जाती है। वहीं, इस दिन विवाहित बेटियां और रिश्तेदार घर आते हैं।मकर संक्रांति पर्व पर शहर में जगह-जगह भंडारों का आयोजन किया गया। भंडारों में प्रसाद के रूप में खिचड़ी के साथ घी बांटा गया। आईजीएमसी में लोक कल्याण समिति द्वारा भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें मरीजों और उनके साथ आए तीमारदारों को खिचड़ी, घी, आचार पार्षद के रूप में बांटा गया। इसके अलावा लोअर बाजार, रिपन अस्पताल के समीप, शेर-ए-पंजाब, तत्तापानी में भी भंडारों का आयोजन किया गया।
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Monday, July 7