नाहन ( हिमाचल वार्ता न्यूज):- उतर भारत के जिला सिरमौर स्थित चूड़धार की यात्रा को लेकर पंजीकरण के साथ साथ फिटनेस सर्टिफिकेट बनवाना जरूरी कर दिया गया है। तहसीलदार नौहराधार के द्वारा जारी किए गए नए दिशा निर्देशों की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। रजिस्ट्रेशन कराने से पहले श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य जांच करानी होगी। रजिस्ट्रेशन बनाने के लिए श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य विभाग की ओर से 48 घंटे पहले जारी किया गया स्वास्थ्य संबंधी प्रमाण पत्र पुलिस को दिखाना होगा।
गौरतलब हो कि यह सिद्ध पीठ सतयुग कालीन है, मगर महाभारत युद्ध के बाद इस स्थान का महत्व खाटू श्याम के नाम से जुड़ने के बाद विश्व व्यापी हो गया था। बर्बरीक के सिर को धड़ से अलग करने के बाद उसकी इच्छा अनुरूप भगवान श्री कृष्ण ने उसके सिर को महाभारत का युद्ध देखने के लिए चूड़धार के शिखर पर स्थापित किया था, जहां से बर्बरीक के द्वारा पूरा महाभारत युद्ध देखा गया था।
यही नहीं पांडुओं में युद्ध की जीत के बाद जागे एहम के जवाब में श्री कृष्ण जी ने पांडुओं में कौन था बेहतर योद्धा ? इस सवाल का जवाब जानने के लिए बर्बरीक के पास भेजा गया था। पांडव अपने सवाल का जवाब पाने के लिए महाभारत युद्ध के बाद चूड़धार पहुंचे थे, जहां बर्बरीक ने उन्हें बताया था कि युद्ध में उन्हें कोई भी योद्धा नजर नहीं आ रहा था बल्कि चारों तरह सुदर्शन ही घूम रहा था।
जिसके बाद पांडुओं का गुरुर टुटा था। यही बर्बरीक भगवान कृष्ण जी के आशीर्वाद से खाटू शाम के नाम से लोकप्रिय हुए। यही वजह है कि ऐतिहासिक तथ्यों के खुलासे के बाद इस सिद्ध पीठ का धार्मिक पर्यटन के नजरिए से महत्व भी बढ़ गया है। हर वर्ष चूड़धार के लिए भारी तादात में धार्मिक सैलानी आते है। इस स्थान तक पहुंचने के लिए नौहराधार से 19 किमोमीटर और चौपाल से सराहन से 7 किमोमीटर की दुरी है।
इस पर्वत शृंखला पर लगभग 10 महीने बर्फ रहती है। भारी बर्फ़बारी के कारण यहां अक्सर दुर्घटनाएं भी हो जाती है। कमजोर स्वास्थय के चलते कई बार आपात स्थिति में प्रशासन को बड़े रेस्क्यू भी करने पड़े। इन्ही सभी कारणों के चलते प्रशासन के द्वारा चूड़धार जाने वाले यात्रियों के लिए पंजीकरण के साथ साथ उनका मेडिकल फिटनेस होना भी जरूरी कर दिया गया है।