नाहन ( हिमाचल वार्ता न्यूज):–शिमला पार्लियामेंट्री सीट पर कांग्रेस सरकार में 21 से अधिक ओहदेदार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की लाज नहीं बचा पाए हैं। 91,451 मतों से विजय हुए सुरेश कश्यप एक बार फिर अपने विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर 16 विधानसभा क्षेत्र में लोकप्रिय साबित हुए हैं। हैरानी तो इस बात की है कि जिला सिरमौर से ताल्लुक रखने वाले सरकार के दिग्गज मंत्री हर्षवर्धन चौहान सहित विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार खुद अपने-अपने गृह क्षेत्र से विनोद सुल्तानपुरी को लीड दिलाने में नाकामयाब साबित हुए हैं।
17 विधानसभा क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले सरकार में तीन मुख्य संसदीय सचिव 6 चेयरमैन और वाइस चेयरमैन 5 विभिन्न विभागों के बोर्ड के डायरेक्टर अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र से लीड दिलाने में निकम्मे साबित हुए हैं। हैरान कर देने वाला विषय तो यह भी है कि जहां भाजपा ने सुरेश कश्यप की बिगड़ी हुई स्थिति के मध्य नजर डैमेज कंट्रोल के लिए मोदी की जनसभा नाहन में आयोजित की थी तो वहीं मोदी के काउंटर में कांग्रेस ने भी राहुल गांधी को नाहन में ही बुलाया था।
ऐसे में मोदी तो डैमेज कंट्रोल कर गए मगर राहुल गांधी का जादू इस पार्लियामेंट्री सीट में नहीं चल पाया। इस हार की बड़ी वजह कांग्रेस की कमजोर रणनीति मानी जा रही है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा से पहले हवा का पूरा रुख विनोद सुल्तानपुरी के पक्ष में था, बावजूद इसके कांग्रेसी नेताओं की प्रचार में निष्क्रियता राहुल गांधी को भी कैश नहीं कर पाई। बड़ी बात तो यह थी कि कांग्रेस को जहां एंटी हाटी, गुर्जर मुस्लिम और कर्मचारी वोट बैंक को और अधिक मजबूत करना चाहिए था उसे रणनीति में रणनीतिकार फेल साबित हुए।
बरहाल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार को अब गहरा मंथन करते हुए 2027 के लिए पहले ही बड़े बदलाव लाने होंगे। सरकार को अब यह भी सोचना होगा कि खास तौर से जिला सिरमौर में कम से कम जिला मुख्यालय यानी नाहन विधानसभा क्षेत्र को और मजबूत करना होगा। इस पार्लियामेंट्री सीट पर कांग्रेस की मीडिया मैनेजमेंट भी सबसे कमजोर साबित रही। अब यदि कूटनीति की बात की जाए तो मोदी की जनसभा के बाद राहुल गांधी को नाहन नहीं बुलाया जाना चाहिए था।
इस जनसभा में विकास के मुद्दे से ज्यादा सनातन यानी धर्म का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी तरह से कैश किया। संभवत भाजपा पहले से ही तय कर चुकी थी कि मुस्लिम और गुर्जर बोर्ड को छोड़कर उन्हें अपनी बाकी वोट पक्की करनी है। भाजपा ने एन वक्त पर जो अपनी रणनीति में बदलाव किया था उससे डॉ. राजीव बिंदल सहित सुखराम चौधरी की रणनीति कामयाब साबित रही। बरहाल अब माना जा सकता है कि हार के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बड़ा बदलाव भी कर सकते हैं।