नाहन ( हिमाचल वार्ता न्यूज) (एसपी जैरथ):- शिमला लोकसभा सीट पर भले ही भाजपा ने जीत हासिल कर ली हो, मगर 2019 की तुलना में इसे अच्छी परफॉर्मेंस नहीं कहा जा सकता। सुरेश कश्यप ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 327515 वोटों से जीत हासिल की थी। तो इस बार 90 हजार 548 वोटों से जीत हासिल की है। इस जीत में सबसे बड़ा सहयोग सोलन जिला का माना जा रहा है, जिसमें नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र से सुरेश कश्यप को 400283 तथा दूसरे नंबर पर अर्की विधानसभा क्षेत्र है जहां से 40026 वोट डले हैं।
जिला का तीसरा स्थान दून विधानसभा ने लिया है, जहां से सुरेश कश्यप को 33521, जबकि विनोद सुल्तानपुरी को यहां से 20439 वोट मिले हैं। सोलन में भले ही विनोद सुल्तानपुरी को 27109 वोट मिले हैं, मगर यह वोट बैंक 2019 के चुनाव से आगे बड़ा है। सोलन से इस बार सुरेश कश्यप को 32125 वोट डले हैं। सोलन से उम्मीद पहले से कहीं अधिक थी क्योंकि माना जा रहा था कि यहां की कमान डॉ. राजीव बिंदल खुद संभाले हुए थे।
डॉ. राजीव बिंदल इससे पहले भी ना तो सोलन नगर निगम और ना ही भाजपा प्रत्याशी को विधानसभा चुनाव में जीत दिलवा पाए थे। वहीं इस लोकसभा चुनाव में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर अपने विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेसी प्रत्याशी को बढ़त दिलाने में कामयाब रहे हैं। जबकि अन्य चार मंत्री एक विधानसभा उपाध्यक्ष और यहां तक की राजनीतिक सलाहकार से लेकर कांग्रेसी विधायक भी अपने-अपने क्षेत्र से विनोद सुल्तानपुरी को लीड नहीं दिलवा पाए।
इस लोकसभा चुनाव में शिमला पार्लियामेंट्री सीट पर यदि कोई सबसे दमदार साबित हुआ है तो वह पूर्व पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले गंगूराम मुसाफिर है। गंगूराम मुसाफिर के द्वारा सुरेश कश्यप को उनकी अपनी विधानसभा में ही 452 की लीड से आगे नहीं जाने दिया। अब यदि मुसाफिर की एंट्री पहले ही कर दी जाती और चुनाव का प्रभार उनके कंधों पर रहता तो निश्चित ही लंबे समय बाद यह जीत कांग्रेस की होती।
कांग्रेस को केवल जुब्बल कोटखाई तथा रोहड़ू से ही लीड मिल पाई है। जिसमें रोहडू विधानसभा क्षेत्र से सुरेश कश्यप को 23346, जबकि विनोद सुल्तानपुरी को 32391, जुब्बल कोटखाई से सुरेश कश्यप को 24602 तथा विनोद सुल्तानपुरी को 30539 वोट मिले है। जिसमें एक सीपीएस और सरकार में मंत्री रोहित ठाकुर को क्रेडिट जाता है। ऐसे में सरकारी कर्मचारियों की भी बात की जाए तो कश्यप की जीत में उनका भी बड़ा सहयोग रहा है।
इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि पोस्ट बैलट में विनोद सुल्तानपुरी को 4909 जबकि सुरेश कश्यप को 5812 वोट डले हैं। जाहिर है इस चुनाव में ओल्ड पेंशन स्कीम मुद्दा नहीं था और ना ही कर्मचारियों का सरकार को सपोर्ट मिल पाया। नोटा ने भी इस बार अच्छे रिकॉर्ड तोड़े हैं, जहां 54 कर्मियों के द्वारा दोनों प्रत्याशियों को नकारा गया, तो वहीं 5930 मतदाताओं ने दोनों ही प्रत्याशियों को नोटा दबाकर नापसंद किया।
सुरेश कश्यप की इस जीत में सबसे बड़ा क्रेडिट लोकसभा प्रभारी सुखराम चौधरी, संयोजक बलवीर वर्मा तथा तमाम भाजपा के कार्यकर्ताओं को जाता है। सुखराम चौधरी सिरमौर के साथ-साथ सोलन के उन क्षेत्रों को भी साध रहे थे जहां भाजपा संगठन के प्रमुख नेता को नापसंद किया जाता है। सोलन के प्रभारी मनीष चौहान शेड्यूल कास्ट वर्ग को शीशे में उतारने में कामयाब रहे।
तो वहीं ना तो जिला के भाजपा अध्यक्ष और ना ही मंडल अध्यक्ष पूरे लोकसभा क्षेत्र में कोई खास करामात दिखा पाए। जबकि पन्ना प्रमुख और एक आम भाजपा कार्यकर्ता सहित भाजपा युवा मोर्चा घर-घर तक जाकर और घर के हर व्यक्ति से संपर्क साध कर प्रत्याशी के गिले शिकवे दूर करवा रहा था।
कुल मिलाकर कहा जाए तो भले ही भाजपा को इस सीट पर जीत मिली हो मगर कांग्रेस का मत प्रतिशत पहले से काफी अच्छा बढ़ा है। अब सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार को जिला सिरमौर के खोए हुए कांग्रेसी दुर्ग को फिर से फतेह करने के लिए मुसाफिर जैसे रणनीतिकारों को अपने साथ शामिल करना होगा।