नाहन ( हिमाचल वार्ता न्यूज) (एसपी जैरथ):- हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा अभी हाल ही में प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत डीपीज को प्रवक्ता शारीरिक शिक्षा का पदनाम दिया गया लेकिन अभी भी इसमें बहुत सारी विसंगतियां रह गई हैं।
हिमाचल प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में लगभग 2000 डीपीई रा.व.मा.पाठशालाओं
में सेवारत हैं। और सभी एक ही आर एंड पी रुल्स से नियुक्त हुए हैं। सभी जमा दो तक की कक्षाओं को शारीरिक शिक्षा पढ़ाने के साथ- साथ खेल- कूद की गतिविधियां संचालित करवाते हैं। सभी न्यूनतम शैक्षिक योग्यता जो सरकार द्वारा रखी गई थी वो पूरी करते है। लेकिन सरकार द्वारा 486 स्कूल डीपीज जो एमपीएड है, को ग्रेड पे 5400 दिया जा रहा है और बीपीएड वालों को 5000। जबकि दोनों समान पद पर समान कार्य कर रहे हैं। जो की सरासर ग़लत है। समान पद पर और समान के लिए ऐसा भैदभाव क्यों?
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ जिला सिरमौर के अध्यक्ष कपिल मोहन ठाकुर, ज़िला महामंत्री दीपक त्रिपाठी, ज़िला संगठन मंत्री श्यामलाल भटनागर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष राधेश्याम शास्त्री, पूर्व ज़िला अध्यक्ष विजय कंवर, पूर्व ज़िला महामंत्री मामराज चौधरी, कोषाध्यक्ष रोहित कुमार, शिवानीशर्मा,रत्नशर्मा,बलदेव सिंह, राजेश शर्मा तथा हिमाचल प्रदेश स्कूल डीपीज संघ के प्रदेश अध्यक्ष मोहन नागटा, डीपीई भविंदर सिंह, संजय कुमार, सतीश पुंडीर, संतराम प्रीति, पूर्ण, यादवेंद्र सिंह आदि ने संयुक्त रूप से सरकार के इस फैसले को भैदभाव पूर्ण बताया है। इन्होंने एक प्रैस विज्ञप्ति में कहा है कि सरकार ने डीपीई को प्रवक्ता शारीरिक शिक्षा का जो पदनाम दिया है वह बिल्कुल सही है लेकिन इसका लाभ केवल 486 शिक्षकों को ही मिल पा रहा है जबकि लगभग 1600 शिक्षक अभी भी इससे अछूते है।
कपिल मोहन ठाकुर ने कहा कि समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाना चाहिए। प्रदेश के सभी शिक्षकों ने सरकार को हमेशा भरपूर सहयोग दिया है, इसलिए सरकार की हमारे प्रति सहानुभूति होनी चाहिए, फिर कुछ डीपीज के साथ ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों? हम इसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।
उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर से आग्रह किया है कि डीपीज की इस समस्या का गंभीरता से अध्ययन कर समाधान किया जाए तथा समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए ताकि सभी डीपीज प्रदेश सरकार के इस फैसले से लाभान्वित हों।