नाहन ( हिमाचल वार्ता न्यूज) (एसपी जैरथ):- एक ओर जहां प्रदेश में सरकार को सेब से करोड़ों रुपये की आमदनी हो रही है तो वहीं बाहरी राज्यों से आम के बगीचों को ठेके पर लेने वाले ठेकेदार मोटी चांदी कूट रहे हैं। एपीएमसी के द्वारा इस तरह के फलों पर एक फीसदी मार्केट फीस निर्धारित है, लेकिन अभी तक आम को इससे बाहर रखा गया है। एपीएमसी जिला सिरमौर के अध्यक्ष सीताराम शर्मा ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में है।
उन्होंने बताया कि इस बार बोर्ड की मीटिंग में यह मुद्दा प्रमुखता से रखा जा रहा है। आने वाले समय में आम के ऊपर बाहरी व्यापारियों से एक फीसदी मार्केट फीस वसूले जाने का प्रावधान रखा जाएगा। उन्होंने ये भी साफ किया कि ऐसा भी नहीं है कि मार्केट फीस को एग्जंप्ट (छूट) किया गया है। लेकिन जो पेटी बगीचे के पैक होकर बैरियर से बाहरी राज्य की ओर निकलेगी, उस पर टैक्स लिया जा सकता है।
सीताराम शर्मा ने बताया कि एपीएमसी के पास स्टाफ और वाहन की बड़ी कमी चल रही है। इसका फायदा बाहरी राज्यों के व्यापारी उठा रहे हैं। जिला सिरमौर के ऐसे कुछ बैरियर हैं, जहां पर एपीएमसी का स्टाफ नियुक्त नहीं है। ये मुद्दा बोर्ड के साथ साथ सरकार के समक्ष भी उठाया जाएगा, ताकि, खाली पड़े पदों को भरा जा सके। साथ ही फ्लाइंग स्क्वायड के लिए वाहन भी सुनिश्चित किया जा सके।
बता दें कि जिला सिरमौर में सरकारी बगीचों के अलावा निजी भूमि पर भी आम के बड़े बगीचें हैं, जिन्हें बाहरी राज्यों से आने वाले आम के व्यापारी लाखों रुपये के ठेके पर लेते हैं। सिरमौर का आम पश्चिम बंगाल, नेपाल, भूटान समेत देश के बड़े राज्यों में पहुंच रहा है, लेकिन इसकी एवज में सरकार को एक रुपये की कमाई भी नहीं हो रही है।
नाहन तहसील के विक्रमबाग में चल रहे एक निजी बगीचे की बात करें तो यहां से 500 टन से अधिक विभिन्न प्रजातियों के आम निर्यात किए जाते हैं, यहां ये भी बता दें कि सिरमौर में तीन हजार हेक्टेयर सरकारी और निजी भूमि पर आम की पैदावार होती है। बावजूद इन सबसे सरकार को कोई फायदा नहीं हो रहा है।