नाहन (हिमाचलवार्ता)। गुप्त आराधना का पर्व शक्तियां का संगम विहार शुक्ल प्रतिपदा 12-2-2021 दिन शुक्रवार से प्रारम्भ होगी। 21-2-2021 दिन रविवार तक गुप्त नवरात्रि का पूजन किया जायेगा, जिसमें विशेष पूजा दशम् महाविद्या काली, तारा, त्रिपुरसुन्दरी, मातंगी, भुवनेश्वरी,छिन्नमस्ता, बगलामुखी,धूमावती, भैरवी, कमला माता की होती है जो स्वयं करें या योग्य आचार्य जो महाविद्या का विधिवत हवन पूजन करा सके उसके द्वारा पूजन करना चाहिए।
घट स्थापना के लिए मकर, कुम्भ, मेष, बृष, मिथुन, कर्क, सिंह व कन्या लग्न विशेष रूप से महत्वपूर्ण है ।
गुप्त नवरात्रि में करें या कराये दुर्गा सप्तशती का तंत्रोक्तवैदिक विधान से चण्डी पाठ व हवन होगी सभी कामनाएं पूरी*
यं यं चिन्तयते कामं तं तं प्राप्नोति निश्चितं ।।
दुर्गा सप्तशती के तांत्रिक प्रयोग
दुर्गा सप्तशती के तांत्रिक प्रयोग, जिस प्रकार गीता में मन को काबू करने और योग आदि के बारे में विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है, उसी प्रकार मनुष्य की सभी चिंताओं का निवारण दुर्गा सप्तशती के ग्रंथ में दिया गया है। भुवनेश्वरी संहिता में कहा भी गया है कि वेदों की भांति ही सप्तशती भी अनादि से है।
दुर्गा सप्तशती के तांत्रिक प्रयोग की जरूरत आज के समय में हर व्यक्ति को है। इस प्राचीन ग्रंथ में हमारी हर समस्या का निवारण दिया गया है। इस ग्रंथ में कुल 700 श्लोक है, जो मुख्यतः तीन चरित्र में विभाजित किए गए है। दुर्गा सप्तशती के तांत्रिक प्रयोग के लिए इन तीनों चरित्र का अपना अलग महत्व है।
दुर्गा सप्तशती के तांत्रिक प्रयोग
पहले चरित्र में महाकाली की आराधाना, दूसरे चरित्र में महालक्ष्मी की आराधना और तीसरे चरित्र में महा सरस्वती की आराधना की गई है। प्रत्येक चरित्र में 7-7 देवियों के श्लोक का उल्लेख मिलता है।
दुर्गा सप्तशती के तांत्रिक प्रयोग में कुल 13 अध्याय दिए गए है। प्रत्येक अध्याय का अपना अलग महत्व है।
दुर्गा सप्तशती के तांत्रिक प्रयोग में सर्वप्रथम हम प्रत्येक अध्याय का महत्व जान लेते है-
प्रथम अध्याय मानसिक तनाव को दूर रखने और मन को एकाग्र रखने के लिए है।
दूसरा अध्याय लड़ाई-झगड़े से बचने और मुकदमे में जीत के लिए है।
शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए दुर्गा सप्तशती के तांत्रिक प्रयोग में तीसरे अध्याय की आराधना करनी चाहिए।
चौथा अध्याय भक्ति और शक्ति पाने के लिए है।
जो लोग अधिक परेशान रहते है और मंदिर आदि में भी उन्हें शांति नहीं मिलती उन्हें, दुर्गा सप्तशती के पंचम अध्याय की मदद लेनी चाहिए।
राहू-केतु के भारी होने और भय को दूर करने के लिए छठा अध्याय है।
सातवां अध्याय सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ण करने के लिए है।
वशीकरण आदि प्रयोग के लिए दुर्गा सप्तशती से वशीकरण के आठवें अध्याय की मदद लें।
नौवें अध्याय की आराधना से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
किसी गुमशुदा की तलाश और अपने बच्चों को सन्मार्ग पर लगाने के लिए दशम अध्याय पढ़ना चाहिए।
ग्यारवां अध्याय व्यापार में लाभ और सुख-समृद्धि के लिए है।
समाज में मान-सम्मान पाने के लिए बाहरवां अध्याय है।
तेहरवा अध्याय अपनी साधना को निर्विकार पूर्ण करने के लिए है।