नाहन।सिरमौर जिला के नाहन स्थित हिमाचल प्रदेश के सरकारी क्षेत्र के तीसरे मेडिकल कालेज डा. वाईएस परमार मेडिकल कालेज एवं अस्पताल नाहन में चिकित्सकों व पैरा मेडिकल स्टॉफ की भारी कमी लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रही है।
लोग जिला सिरमौर के विभिन्न हिस्सों से प्रतिदिन मेडिकल कालेज में बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाओं की उम्मीद को लेकर नाहन पहुंचते हैं, परंतु मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में लंबी-लंबी कतारें व ओपीडी की स्लिप बनने के बाद डॉक्टरों की कमी बीमार लोगों को और परेशानी में डाल रही है।
हालत यह है कि मेडिकल कॉलेज नाहन को पांच वर्ष की अवधि पूरी होने को है, परंतु मेडिकल कालेज में अभी भी 80 प्रतिशत से कम स्टाफ है। ऐसे में जिला सिरमौर से प्रतिदिन उपचार हेतु मेडिकल कॉलेज नाहन पहुंचने वाले लोगों को दिन भर चिकित्सकों का इंतजार ओपीडी में करना पड़ता है। हैरानी की बात तो यह है कि प्रदेश सरकार व स्वास्थ्य विभाग मेडिकल कॉलेज नाहन को पूरी तरह से नजरअंदाज कर रहा है।
ऐसे में लोगों का कहना है कि मेडिकल कालेज से बेहतर तो जिला चिकित्सालय ही था। दूसरी समस्या मरीजों को जो सबसे अधिक आ रही है वह यह है कि एक चिकित्सक द्वारा देखे गए मरीज को दूसरा चिकित्सक नहीं देखता है। ऐसे में सिरमौर जिला के लोगों को हिमाचल सरकार के बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावों से विश्वास उठ गया है।
जानकारी के मुताबिक मेडिकल कालेज नाहन के गाइनी विभाग में जहां स्वीकृत करीब 17 पदों में से केवल तीन चिकित्सक तैनात हैं तो वहीं मेडिसिन विभाग में भी करीब 23 पदों की तुलना में केवल पांच चिकित्सक ही तैनात हैं। इसके अलावा मेडिसिन विभाग में एक प्रोफेसर, दो एसोसिएट प्रोफेसर, एक असिस्टेंट प्रोफेसर, पांच सीनियर रेजिडेंट के अलावा नौ जूनियर रेजिडेंट के पद खाली पड़े हैं।
हैरानी की बात तो यह है कि मेडिकल कालेज के कुछ विभाग ऐसे हैं जिसमें चिकित्सकों की तैनाती ही नहीं है। मेडिकल कालेज में न्यूरोलॉजी विभाग शुरू नहीं हुआ है, जबकि कैंसर विभाग में भी केवल एक चिकित्सक तैनात है। इसके अलावा ईएनटी, नेत्र रोग विभाग, ऑर्थो विभाग में भी चिकित्सकों की कमी की वजह से जिला सिरमौर के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
गौर हो कि डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज नाहन की स्थापना वर्ष 2016 में हुई थी। कॉलेज में एमबीबीएस के 500 प्रशिक्षु चिकित्सक प्रशिक्षण ले रहे हैं। मेडिकल कालेज का अपना भवन अभी तैयार नहीं है। नाहन में जो पुराना जिला चिकित्सालय था उसमें मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था चलाई जा रही है। इसके अलावा राजकीय महाविद्यालय नाहन के आर्ट्स ब्लॉक को भी मेडिकल कॉलेज को दिया गया है। मेडिकल कालेज के साथ स्थित जिला आयुर्वेद अस्पताल के पूरे भवन को फिलहाल कोविड लैब व कोविड आइसोलेशन वार्ड में तब्दील किया गया है।
ऐसे में मेडिकल कालेज में न तो प्रशिक्षु चिकित्सकों के लिए लेक्चर थियेटर की व्यवस्था है न ही पर्याप्त प्रोफेसर व लैब की व्यवस्था। यही नहीं मेडिकल कालेज में नर्सिंग स्टाफ की भी भारी कमी है। वर्तमान में मेडिकल कॉलेज नाहन में स्वीकृत नर्सिंग स्टाफ के पदों की तुलना में केवल एक तिहाई पद ही भरे हुए हैं। ऐसे में जिला सिरमौर के नाहन स्थित डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज सिरमौर जिला के लोगों के लिए सफेद हाथी बना हुआ है।
हैरानी की बात तो यह है कि सिरमौर जिला में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री व नाहन के विधायक डॉ. राजीव बिंदल भी नाहन मेडिकल कालेज में स्टाफ की भरपाई को लेकर फिलहाल सफल होते नजर नहीं आ रहे हैं। मेडिकल कॉलेज नाहन में पिछले करीब एक वर्ष से स्पेशल वार्ड बंद पड़े हैं। मेडिकल कॉलेज के सीसीयू, मेल मेडिकल, फीमेल मेडिकल व ऑर्थो वार्ड के अलावा कुछ अन्य वार्डों को बंद किया गया है। इन वार्ड को अन्य वार्ड के साथ क्लब कर दिया गया है। वार्ड को बंद करने का सबसे बड़ा कारण नर्सिंग स्टाफ की कमी है।