रेणुका जी राजीव कुमार भटनोर 28 जनवरी {हिमाचलवार्ता न्यूज़}:- हिन्दू कैलेंडर के आधार पर हर मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से धन, आरोग्य एवं संतान की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं पूजा विधि के बारे में.
हिन्दू कैलेंडर के आधार पर हर मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस समय माघ माह का कृष्ण पक्ष चल रहा है. माघ माह का पहला प्रदोष व्रत 30 जनवरी दिन रविवार को है. प्रदोष व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से सुख, समृद्धि, धन, आरोग्य एवं संतान की प्राप्ति होती है. रवि प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति को शिव कृपा से आरोग्य एवं लंबी आयु प्राप्त होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न रहते हैं, ऐसे में आप उनकी पूजा करके अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति कर सकते हैं. आइए जानते हैं प्रदोष व्रत की पूजा विधि एवं मुहूर्त के बारे में.
प्रदोष व्रत 2022 तिथि एवं मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, माघ कृष्ण त्रयोदशी तिथि 30 जनवरी को शाम 05:28 बजे तक मान्य है. ऐसे में प्रदोष व्रत के लिए पूजा का मुहूर्त शाम 05:59 बजे से रात 08:37 बजे तक है. इस समय काल में अपको प्रदोष व्रत की पूजा कर लेनी चाहिए. इस दिन मासिक शिवरात्रि भी है, तो आप शिव पूजा करके दो व्रतों का लाभ ले सकते हैं.
प्रदोष व्रत एवं पूजा विधि
1. प्रदोष व्रत से एक दिन पूर्व से तामसिक वस्तुओं का सेवन बंद कर दें.
2. 30 जनवरी को प्रात:काल में स्नान आदि से निवृत होकर साफ कपड़े पहन लें. फिर हाथ में जल लेकर प्रदोष व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा का संकल्प करें.
3. अब दैनिक पूजा कर लें. फिर दिनभर फलाहार करते हुए भगवत भजन करें. शाम के समय में पूजा मुहूर्त को ध्यान में रखकर शिव मंदिर या फिर घर के पूजा स्थान पर शिव पूजा करें.
4. भगवान शिव का गंगाजल और गाय के दूध से अभिषेक करें. फिर उनको सफेद चंदन का लेप लगाएं. शहद, शक्कर, भांग, धतूरा, बेलपत्र, मदार का फूल, सफेद पुष्प, मौसमी फल आदि चढ़ाएं. इस दौरान ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें. माता पार्वती और गणेश जी की भी पूजा कर लें.
5. इसके बाद धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें. फिर शिव चालीसा का पाठ करें. उसके पश्चात शिव मंत्र का जाप करें. प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें.
6. पूजा के अंत में घी के दीपक या कपूर से भगवान शिव की आरती करें. उसके बाद उनके समक्ष नतमस्तक होकर अपनी मनोकामना व्यक्त कर दें.
7. शिव पूजन के बाद से दान दक्षिणा दें. फिर भोजन ग्रहण करके पारण करें और व्रत को पूरा करें.