नाहन हिमाचल वार्ता न्यूज शिवरात्रि पर महाकालेश्वर मंदिर में जुटेगी भीड़, हवन यज्ञ का किया जाएगा आयोजन
सिरमौर जिले के प्रवेश द्वार कालाअंब के साथ लगते सढ़ोरा-कालाअंब रोड के पास झंडा गांव में महाकालेश्वर शिव मंदिर लोगों की प्रगाढ़ आस्था का प्रतीक है। इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। यहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु शीश नवाने पहुंचते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। महाभारत काल से लेकर आज तक यह मंदिर प्रत्यय रूप से पॉजिटिव एनर्जी का एक बहुत बड़ा स्त्रोत रहा है। शिव मंदिर गौशाला समिति के अध्यक्ष रमेश उर्फ बिट्टू भाई के अनुसार शिव मंदिर गौशाला समिति के द्वारा शिवरात्रि के उपलक्ष पर मंदिर को दिव्य रूप सजाने की तैयारियां शुरू कर दी गई है।
समिति के सदस्य से ही इस दिव्य स्थान पर आयोजित होने वाले मेले में व्यवस्था बनाने में जुटे हुए है । समिति के अध्यक्ष रमेश उर्फ बिट्टू ने बताया कि सुबह प्राचीन दिव्य शिवलिंग का अभिषेक किया जाएगा । उसके बाद हवन का आयोजन भी किया जाएगा। बता दें कि इस दिव्य शिव शक्ति पीठ में अलौकिक दिव्य शक्ति स्वरूप माताजी साक्षात रुप में भक्तों को आशीर्वाद देती है। माताजी मंदिर में ना केवल मुख्य पुजारी हैं बल्कि वह इस मंदिर की एक ऐसी जोत है जिनके चेहरे का तेज अशांत मन को भी क्षण भर में शांति देता है। माता जी के आशीर्वाद से आज यह शक्ति पीठ हजारों लाखों लोगों की आस्था का केंद्र बन चुका है
यही नहीं बिट्टू भाई और उनके सहयोगियों के द्वारा मंदिर सहित पूरे रास्ते को विकसित किया गया है। बिट्टू भाई का कहना है कि इस दिव्य शिव स्थान पर सड़क के साथ-साथ बेल आंवला सहित कई औषधीय पौधे भी लगाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि जल्द ही शिव शक्ति पीठ पर प्राचीन विधि के अनुसार चवनप्राश तैयार किया जाया करेगा। जिसे प्रसाद स्वरूप भक्तों को वितरित भी किया जाएगा। उन्होंने युवा पीढ़ी से आग्रह करते हुए कहा कि शिवरात्रि के दिन नशे आदि व्याधियों को त्यागने की प्रतिज्ञा लेनी चाहिए ।
उन्होंने बताया कि शिवलिंग पर भांग धतूरा चढ़ाए जाने का यही महत्व होता है कि हमारे जीवन में आए नशे आदि व्याधियों को भगवान भोलेनाथ दूर करेंगे। उन्होंने खेद जताते हुए भी कहा कि लोग इस गूढ़ रहस्य को ना समझते हुए उल्टा भांग धतूरे का नशा कर अपने जीवन को नशे का आदि बनाते हैं। बता दें कि इस शिव शक्ति पीठ पर 101 हवन कुंड भी बनाए गए हैं जहां विशेष अवसर पर दिव्या हवन भी किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि हालांकि यह स्थान प्राचीन और ऐतिहासिक है मगर जब से इस स्थान पर दिव्य स्वरूप माता भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए मंदिर की सेवा में आई है तब से इस स्थान का महत्व बढ़ गया है।