चंडीगढ़ ( हिमाचल वार्ता न्यूज़ ) शिवालिक विकास मंच प्रदेश अध्यक्ष विजय बंसल एडवोकेट ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर आवारा पशुओं के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में घायल होने और मरने वाले लोगों के परिजनों को 10 लाख रुपए मुआवजा देने का प्रावधान करने की मांग की है। सड़कों, गलियों में घूमते हुए आवारा पशुओं के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में मरने वालों का मुआवजा निर्धारित करने के लिए शिवालिक विकास मंच प्रधान विजय बंसल एडवोकेट ने सरकार और प्रशासन की कार्यवाही पर सवालिया निशान लगाया है। इसके साथ ही विजय बंसल ने कहा कि सड़कों गलियों में आवारा पशुओं की समस्या के समाधान के लिए सरकार और प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही जबकि कालका नगर परिषद के बजट में सिर्फ आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए लाखो के बिल बनाकर जनता को गुमराह कर एक बड़ा घोटाला किया जा रहा है केवल इतना ही नहीं सरकार ने जिन आवारा पशुओं के लिए 2015 में काऊ सेस लगाकर करोड़ों रुपए का राजस्व इकट्ठा कर लिया है लेकिन प्रशासन और सरकार की लापरवाही के कारण सड़कों पर घूमने वाले उन्ही आवारा पशुओं पर कोई लगाम नहीं लगाई गई और जब आवारा घूमते पशुओं की चपेट में आने से दुर्घटनाओं में घायल होने और मरने वाले लोगों की भी कोई सुध नहीं ली जा रही। गौरतलब है कि इसी विषय पर पहले विजय बंसल के लीगल नोटिस पर शहरी स्थानीय निकाय विभाग के महानिदेशक ने कार्यवाही के आदेश दे दिए थे परंतु अधिकारियों द्वारा अब तक कोई कार्यवाही नहीं की है। इसके साथ ही महानिदेशक ने उपायुक्त पंचकूला व नगर निगम के आयुक्त को पत्र भेजकर इस मामले पर तुरन्त कार्यवाही करके कार्यवाही रिपोर्ट निदेशालय में तुरन्त भेजने को कहा था।दरअसल विजय बंसल ने अपने हाईकोर्ट के वकील रवि शर्मा के मार्फ़त प्रदेश सरकार को 24 सितम्बर 2020 को लीगल नोटिस भेजा था जिसमे सड़को पर आवारा पशुओं की समस्या के समाधान हेतु प्रबन्धन व मरणोपरांत मुआवजा निर्धारित करने के लिए कहा था। तब ऐसी उम्मीद जगी थी कि जल्द इस ओर स्थाई समाधान होगा लेकिन फिर वही ढाक के तीन पात। सरकार ने आवारा पशुओं के कारण दुर्घटनाग्रस्त लोगों की ना तो शुद्ध ली है और ना ही सड़कों पर घूमते आवारा पशुओं पर किसी भी विभाग और प्रशासन की जिम्मेवारी निर्धारित की है परिणाम स्वरूप सड़कों पर लगातार आवारा पशुओं की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है स्थिति नहीं विकराल रूप धारण कर ले इसलिए इस पर रोकथाम लगाने जरूरी है।विजय बंसल ने हरियाणा गौवंश व गौसंवर्धन एक्ट 2015 की धारा 9 से 11 के प्रावधानों को प्रॉपर तरीके से लागू करने की मांग की थी क्योंकि हरियाणा सरकार द्वारा वर्ष 2015 में गौवंश संरक्षण व गौसंवर्धन एक्ट बनाया गया था जिसके तहत धारा 9 से 11 के तहत ऐसे संस्थान बनाने का प्रावधान बनाया था जोकि हरियाणा के अंदर दुर्बल,घायल,अवारा व अमितव्ययी गायों को स्वीकार कर उनका रखरखाव करेगा साथ ही इन संस्थानो को राज्य सरकार पर्याप्त आर्थिक व तकनीकी सहयोग उपलब्ध करवाएगा। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48 में राज्य सरकारों को गौमाता समेत अन्य पशुओं के रखरखाव व नस्ल के सुधार लिए दायित्व सौंपा है। अनुच्छेद 51 ए(जी) मे प्राकृतिक वातावरण के रखरखाव व सुधार के लिए प्रावधान है।विजय बंसल का कहना है कि यदि इन प्रावधानों को लागू किया जाता तो आज अवारा पशुओं को दरकिनार कर सड़को पर होने वाले दुर्घटना व अन्य मामले सामने न आते। इसलिए सरकार को पंजाब की तर्ज पर आवारा पशुओं के कारण होने वाली घटनाओं के लिए मुआवजा निर्धारित करने के लिए कानून बनाना चाहिए।
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Friday, May 9