नाहन हिमाचल वार्ता न्यूज़ (एसपी जैरथ):- सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन में 25 जून को भगवान श्री जगन्नाथ जी की 15वीं रथ यात्रा निकाली जाएगी। इन दिनों रथ यात्रा की तैयारियां जोरों से चल रही है। श्री जगन्नाथ रथ यात्रा मंडल द्वारा नाहन में 2009 से इस रथयात्रा की शुरुआत उड़ीसा स्थित श्री जगन्नाथ पुरी में निकाली जाने वाली विश्व प्रसिद्ध भव्य रथयात्रा की तर्ज पर की थी। अब यह शहर का सबसे बड़ा वार्षिक धार्मिक उत्सव बन गया है।रथ यात्रा में हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ तथा उत्तराखंड के कृष्ण भक्त बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। भगवान श्री जगन्नाथ जी रथयात्रा मंडल नाहन के अध्यक्ष प्रकाश बंसल ने बताया कि इस उत्सव में भाग लेने वालों की संख्या हर वर्ष बढ़ रही है। पिछले वर्ष यह संख्या 25 हजार के करीब थी। उन्होंने कहा कि भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा का मुस्लिम, सिख तथा ईसाई सहित सभी वर्गों द्वारा स्वागत किया जाता है।रथ यात्रा इस शहर की धार्मिक समभाव की प्रतीक बन गई है। उन्होंने कहा कि रथ यात्रा मंडल भी सभी वर्गों के धार्मिक उत्सवों में भागीदार बनता है। उन्होंने बताया कि रथ यात्रा से संबंधित धार्मिक आयोजन एक मई से शुरू हो गए थे। इस दौरान नाहन में प्रभात फेरी, भगवान श्री जगन्नाथ जी का विभिन्न भक्तों के घरों में संकीर्तन प्रवास के कार्यक्रम चल रहे हैं। 16 जून से श्री जगन्नाथ मंदिर परिसर में श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ आरंभ किया गया है जिसकी पूर्णाहुति 22 जून को होगी।23 व 24 जून को भगवान श्री जगन्नाथ, देवी सुभद्रा तथा बलभद्र के श्रीविग्रहों की वैदिक रीति से विशेष पूजा तथा श्री चैतन्य गौड़ीय मठ, चंडीगढ़ के भक्तों द्वारा संकीर्तन का आयोजन होगा। 25 जून को प्रातः 8 बजे अनुष्ठान की पूर्णाहुति के उपरांत भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा की प्रक्रिया श्री जगन्नाथ मंदिर, बड़ा चौक, नाहन से आरंभ होगी। नाहन के ऐतिहासिक चौगान मैदान में भगवान को छप्पन भोग लगेगे।भगवान के भी विग्रहों को पालकी में सजाकर चौगान मैदान तक लाया जाता है। यहां पर वैदिक रीति से श्रीविग्रहों की पूजा होती है। भगवान को दिव्य छप्पन भोग अर्पित किए जाते हैं। यहीं से भगवान को रथ पर आरूढ़ किया जाता है। हजारों भक्त हरि संकीर्तन के गगनभेदी स्वरों के बीच नाहन के माल रोड से होकर रथ को खींचते हुए कच्चा टैंक श्री रघुनाथ जी के मंदिर तक ले जाते हैं। इसके बाद फिर श्री विग्रहों को पालकी में आरुढ़ किया जाता है।बाजार के बीचो बीच होते हुए बड़ा चौक स्थित श्री जगन्नाथ जी के मंदिर, सांयकाल की आरती के समय तक पहुंचाया जाता है। इस दौरान लोगों ने स्थान स्थान पर भगवान के स्वागत में तोरण द्वारों का निर्माण किया जाता है। रथ यात्रा में चल रहे भक्तों के लिए जलपान तथा मिनी भंडारों की व्यवस्था होती है। करीब 343 वर्ष पुरानी विष्णु पीठ संवत 1728 में निर्मित हुए श्री जगन्नाथ मंदिर नाहन उत्तर भारत का एकमात्र श्री जगन्नाथ मंदिर है।मंदिर के पुजारी रहे महात्मा सरस्वती के अनुसार नाहन के अधिकांश लोग भी इस मंदिर के इतिहास के संबंध में अधिक नहीं जानते थे। 10 वर्ष पहले तक लोग मंदिर भी बहुत कम आते थे। मगर रथयात्रा के कारण यह प्राचीन विष्णु पीठ अचानक भक्तों को आकर्षित करने लगी है। सिरमौर के इतिहास में इस मंदिर को बद्रीनाथ जी के बाद उत्तर भारत की प्रमुख विष्णु पीठ कहा गया है।इस मंदिर की स्थापना बाबा बनवारी दास ने की थी। जिन्होंने करीब 400 वर्ष पहले नाहन शहर बसाया था। मंदिर में आज भी बाबा जी की तपोस्थली (गुफा), उनके खड़ाऊं, माला तथा अनेक वस्तुएं दर्शनार्थियों के लिए सहेज कर रखी गई हैं। यहां उनकी मूर्ति की भी स्थापना की गई है।
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Friday, May 9