काँगड़ा (हिमाचल वार्ता न्यूज़ ) देवभूमि के वाशिंदे पहाड़ों में तबाही से घबरा गए हैं। सैकड़ों लोगों की जान चले जाने और हजारों परिवारों के बेघर हो जाने से पहाड़ के लोगों का चैन छिन गया है। पानी अपनी निकासी के लिए जब जगह बना रहा है, तो उसकी चपेट में आने वाले व्यक्ति, जानवर, घर, मंदिर, पेड़-पौधे सब तबाह हो जा रहे हैं। पर्यटन के नाम पर धर्मशाला-मकलोडगंज में भी पहाड़ को काटने, नालों को संकरा कर उनके साथ होटल व बड़े-बड़े भवन बनाने सहित त्रियूंड जैसे पहाड़ मेंं भी टैंट कालोनियां बना देने जैसी अनरेगुलेटिड एक्टिविटी विनाश का बड़ा कारण बनने लगी हैं। कई बार इन्हें हटाने के बावजूद वन भूमि पर अवैध कब्जे हो जाते हैं।अब लोग कह रहे हैं कि क्या मकलोडगंज भी नीचे आ जाएगा। भले ही अभी ऐसा कुछ नहीं है, लेकिन मकलोडगंज और आसपास के क्षेत्रों में हर साल बड़े-बड़े लैंड स्लाइड हो रहे हैं और अनियंत्रित पहाड़ काटे जा रहे हैं वह किसी बड़े खतरे को न्योता दे रहे हैं। मकलोडगंज-नड्डी व में पहाडिय़ों को काट कर भवन बन गए हैं इनमें से कई भवन नियमों को पूरा नहीं करते हैं। जिसको लेकर एनजीटी, हाई कोर्ट भी सख्ती के निर्देश दे चुका है।
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Friday, May 9