शिमला। प्रतिपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सीमेंट के कारखाने बंद कमरे में समझौता ज्ञापनों के माध्यम से स्थापित नहीं किए जा सकते। इसके लिए अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर निविदाएं मंगवानी पड़ेंगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कानून में संशोधन कर चुकी है जिसमें खासतौर पर सीमेंट कारखानों के आवंटन के राज्य सरकारों के विशेषाधिकार समाप्त हैं। राज्य सरकारें चोर दरवाजे से सीमेंट कारखाने नहीं दे सकती। इसके लिए टेंडर लाज़िमी हैं। मुकेश अग्निहोत्री ने यह बात कुछ अखबारों में प्रकाशित उस खबर के आधार पर कही जिसमें कहा गया है कि डालमिया ग्रुप के साथ चंडीगढ़ में 2500 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। उन्होंने कहा कि चम्बा के सीमेंट कारखाने के लिए भी इसीलिए ग्लोबल टेंडर हुए हैं, जिसमें कोई खरीदार नहीं मिला। यह कारखाना पहले जे.पी. के पास था और काम न करने के कारण रद्द हुआ। देश के नये कानून को देखते हुए उसे विज्ञापित किया गया। उन्होंने कहा कि इसी तरह डालमिया ने भी एम.ओ.यू. के जमाने में एक सीमेंट कारखाने का करार किया था। बार-बार मौका मिलने के बावजूद काम नहीं किया, इसलिए उसमें भी नये कानून को देखते हुए निविदाएं मांगी जानी चाहिए। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि निवेश के प्रस्तावों को भारी-भरकम दिखाने के मनसूबों के चलते पुराने निवेश को भी नया दिखाने का प्रयास हो रहा है।
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Thursday, April 25