ददाहू (सिरमौर)। ददाहू का अस्पताल भले ही ‘रैफरल’ से सिविल अस्पताल हो गया है, परंतु जो मुश्क्कि्ल रैफरल के दौरान थी वे अभी भी पांव पसारे हुए हैं, अस्पताल में कर्मचािरयों की संख्या मानक की तुलना में काफी कम है, इस कारण यहां इलाज के लिए आने वाले मरीजों को ‘बीमारियों’ से होने वाली परेशािनयों से भी ज्यादा दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं, दम निकलने को होता है।
अस्पताल में अन्य सेवाओं का तो भगवान ही मालिक हैं-अापातकालीन सेवा भी आफत हो चुकी है, इसमें भी इलाज के लिए दो-तीन घंटों तक डाक्टर की प्रतीक्षा करना आम बात हैं, मरीज जो कि प्राय: अति गंभीर बीमारी या हादसों के शिकार होते हैं जिन्हें कि उपचार की तत्काल जरूरत होती हैं, उनके लिए न उनके साथ अाये तीमारदारों के लिए इमरजेंसी में इतनी लम्बी प्रतीक्षा मौत से सीधे साक्षात्कार जैसी है, पीिड़त तड़फ-तड़फ कर िकस तरह डाक्टर या इलाज के इंतजार में रहते हैं, ददाहू अस्पताल में देखा जा सकता है, जिस पर रेणुका विधानसभा क्षेत्र के सैंकड़ों गांव, रेणुका जी आने वाले तीर्थ यात्री व पर्यटक इलाज के लिए निर्भर हैं, जबकि इमरजेंसी हो या अन्य विभाग सबमें इलाज, आपरेशन, डाक्टर या सहयोगी स्टाफ काम चलाऊ भी नहीं दिखता।
हैरानी तो यह है कि अस्पताल में स्टाफ की बेहद कमी की जानकारी स्वास्थ्य विभाग िजला प्रशासन व जन प्रतिनिधियों, खासकर क्षेत्रीय िवधायक सभी को हैं, परंतु यह कमी कब तक चलेगी, कब दूर होगी, इस यक्ष प्रश्न का उत्तर किसी से नहीं मिलता।
फिलहाल तो ददाहू सिविल अस्पताल में स्टाफ की कमी की बीमारी ठीक होने की संभावना भी नहीं हैं, क्योंकि राजनीितक दलों की दिलचस्पी निकट भविष्य में होने वाले पच्छाद विधानसभा क्षेत्र के उप चुनाव में हैं, यह उपचुनाव विधायक सुरेश कश्यप के लोकसभा के लिए निर्वाचित होने के चलते होना हैं, हालांकि अभी चुनाव की तिथि तय नहीं हुई है तथािप नवंबर से पहले उपचुनाव संभव हैं क्योंकि उसके पश्चात इलाके में भीषण सर्दी का दौर शुरू हो जाता हैं, हालांिक इस उपचुनाव के पश्चात भी ददाहू सिविल अस्पताल में मरीजों को पेश आ रही दिक्कतें दूर हो जायेंगी, जरूरी नहीं। होनी तो कब की हो चुकी होती, सरकार में बहानेबाजी बहुत हैं, चाहे जिस भी पार्टी की हो।
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Sunday, May 11