नाहन। पच्छाद उप चुनाव में इस बार कड़ा तिकोना मुकाबला है। निर्दलीय उम्मीदवार दयाल प्यारी भाजपा और कांग्रेस पर भारी पड़ रही है। जहां एक ओर भाजपा प्रत्याशी रीना कश्यप को विजय कराने के लिए सरकार के मंत्रीगण, सांसद और भाजपा के वरिष्ठ नेता पसीना बहा रहे है वहीं पर भाजपा और कांग्रेस से रूष्ट कार्यकर्ता दयाल प्यारी को अपना समर्थन दे रहे है ।
गौरतलब है कि भाजपा के लिए पच्छाद सीट जीतना एक प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है जिसके लिए मुख्यमंत्री द्वारा पच्छाद में मंत्रियों की फौज उतार दी है । उल्लेखनीय है कि टिकट न मिलने से रूष्ट छात्र नेता आशीष सिक्टा और दयाल प्यारी द्वारा अपनी पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी गई थी और दोनों बागी प्रत्याशियों द्वारा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपने नामांकन पत्र भरे गए थे। दोनो निर्दलीय प्रत्याशियों को मनाने के लिए सरकार द्वारा पुरजोर कोशिश की गई थी जिसमें आशीष सिक्टा द्वारा अपना नाम वापिस ले लिया गया था परन्तु दयाल प्यारी चुनावी मैदान में खड़ी रही जिससे भाजपा और कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई है ।
पच्छाद विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से वर्ष 1982 से लेकर 2012 तक गंगूराम मुसाफिर सात बार जीत दर्ज की गई जिसमें एक बार निर्दलीय और छः बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा गया । वर्ष 2012 में कांग्रेस की आपसी फूट और भीतरघात के कारण मुसाफिर को भाजपा के सुरेश कश्यप द्वारा 2625 मतों से हराया था । इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जीआर मुसाफिर को 22683 और भाजपा के सुरेश कश्यप को 25488 मत मिले थे । इसी प्रकार वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में जीआर मुसाफिर को भाजपा के सुरेश कश्यप द्वारा 6700 मतो से पराजित किया था इस चुनाव में 110 बूथों में से 84 पर भाजपा और केवल 26 सीटों पर कांग्रेस को लीड मिली थी । इसी प्रकार वर्ष 2019 के हुए लोकसभा के आमचुनाव में पच्छाद से भाजपा को 16027 की लीड मिली थी और इसी लीड को देखते हुए भाजपा ने इस उप चुनाव में 20 हजार का आंकड़ा पार करने का लक्ष्य रखा है ।
पच्छाद को यह उप चुनाव भाजपा की आपसी फूट के कारण जीआर मुसाफिर के लिए संजीवनी के रूप साबित हो सकता है । यदि मुसाफिर इस बार जीत जाते हैं तो वह वर्ष 2022 के विधानसभा के चुनाव को लड़ सकते है यदि हार की हैट्रिक लगी तो शायद यह उनका आखिरि दाव भी हो सकता है । इस उप चुनाव में 74 वर्षीय मुसाफिर मिडिया की सुर्खियों में रहने की बजाय घर घर जाकर आखिरि बार जीतने के लिए लोगों से आर्शिवाद की गुहार लगा रहे है । वहीं पर दूसरी ओर सांसद सुरेश कश्यप और कृषि विपणन बोर्ड के अध्यक्ष बलदेव भंडारी द्वारा भी पच्छाद के हर गांव में जाकर नुक्कड़ सभाऐं करके रीना कश्यप को जीताने के लिए आग्रह किया जा रहा है । काबिलेगौर है कि निर्दलीय प्रत्याशी दयाल प्यारी ने दोनो राजैनैतिक पार्टियों की नींद उड़ा दी है क्योंकि सिक्टा के समर्थकों ने अब दयाल प्यारी को अपना साथ देने का निर्णय लिया गया है जिससे निर्दलीय उम्मीदवार दयाल प्यारी दोनो पार्टियों पर भारी पड़ रही है । उप चुनाव के इस तिकोने मुकाबले में ऊंट किस करवट बैठता है इसका पता तो 24 अक्तूबर को लग जाएगा ।
Breakng
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Friday, April 19