नाहन। प्रदेश में कोरोना के खिलाफ धरातल पर जंग लड़ रहे कर्मवीरों को आज देश ने पलकों पर बिठा रखा है। इसमें सफाई कर्मचारियों से लेकर अस्पताल स्टाफ व पुलिस अहम भूमिका में हैं। आपको बताना चाहेंगे, शहर में एक परिवार ऐसा भी है, जिसके पांच में से तीन सदस्य कोरोना के खिलाफ अपना दायित्व बखूबी निभा रहे हैं।
आप यह जानकर अवश्य ही नीतू नारनोल की प्रशंसा करेंगे कि जब परवाणु में कोरोना का संकट गहरा रहा था तो वो डयूटी के लिए मुस्तैदी से डट गई। एक भाई अरुण नारनोल मेडिकल कॉलेज में पैरा मेडिकल स्टाफ में अपने कर्त्तव्य को बखूबी निभा रहा है। इसी कॉलेज में अब तक करीब-करीब 50 सैंपल लिए जा चुके हैं। एक पॉजिटिव भी आया है। बावजूद इसके हौंसले में कमी नहीं है। आधी रात को भी एमरजेंसी में डयूटी को तैयार रहता है। परिवार का दूसरा बेटा अश्वनी नारनोल अपनी सेवाएं पुलिस महकमे को दे रहा है। वो भी बखूबी यह जानता है कि चाहे कर्फ्यू को लागू करने की बात हो या फिर कोरोना पॉजिटिव पाए गए पेशेंट को अस्पताल पहुंचाना हो, डयूटी तो करनी ही पड़ेगी।
उल्लेखनीय है कि ट्रैफिक कर्मी अर्जुन की भी एक ऐसी दिल को छू देनी वाली दास्तां सामने आई थी, जब उन्हें अपने नवजात बेटे के अंतिम संस्कार से ही सामाजिक दूरी बनानी पड़ी थी। आप यह भी सोच रहे होंगे कि आखिर तीन बहन-भाईयों के डयूटी पर तैनात रहने के दौरान घर पर कौन होता है तो बुजुर्ग मां को कर्मवीरों के परिवार को भी संभालना पड़ता है। पिता प्रेम कुमार अब इस दुनिया में अपने बच्चों को इस तरीके से डयूटी निभाते देखने के लिए मौजूद नहीं हैं। दिवंगत पिता जेल महकमे से हैड वार्डर के पद से सेवानिवृत हुए थे।