नाहन। कोरोना वायरस संकट में सिरमौर प्रशासन की कोशिश साथ ही रैडक्रॉस एंबुलेंस के चालक राम सिंह हौंसले की बदौलत महज 2 दिन का मासूम बच्चा 320 किलोमीटर दूर सर्जरी के लिए गुड़गांव पहुंच गया। कौंलावाला भूड़ क्षेत्र के रहने वाले गरीब माता-पिता मासूम बच्चे को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर मेडिकल कॉलेज लाए। 3 बजे के आसपास दिल में छेद होने की वजह से बच्चे को 320 किलोमीटर दूर एक निजी अस्पताल में रैफर कर दिया, क्योंकि बच्चे की सर्जरी वहीं संभव हो पा रही थी।
आप जानकर हैरान होंगे कि दोपहर 3 बजकर 45 मिनट पर चालक राम सिंह बच्चे व माता-पिता को साथ लेकर गुडग़ांव के लिए रवाना हुआ। 7 बजकर 40 मिनट पर प्रशासन को रिपोर्ट मिली कि बच्चा दाखिल किया जा चुका है। बच्चे को तत्काल ही सर्जरी की आवश्यकता थी। पहले एसडीएम विवेक शर्मा ने परिवार का कर्फ्यू पास बनाने में विलंब नहीं किया, साथ ही रैडक्रॉस परिवार को 3 हजार की इमदाद भी दी गई।
प्रशासन को लग रहा था कि शायद चालक उपलब्ध न हो, मगर पायलट राम सिंह ने हर हाल में बच्चे को अस्पताल पहुंचाने की ठान ली। कौलांवालाभूड़ के रहने वाले गंगूराम व आशा देवी दंपति ने रत्ति भर भी यह नहीं सोचा था कि इस तीव्रता से उस समय प्रशासन की इमदाद मिल जाएगी जब पूरे देश में लॉकडाउन है। मासूम बच्चे के गरीब माता-पिता को बस अब केवल इस बात की उम्मीद है कि उनकी नन्ही जान की सर्जरी ठीक-ठाक हो जाए। प्रशासन के मन में एक सवाल यह पैदा हुआ कि इतनी दूर बच्चे को एक निजी अस्पताल में क्यों रैफर किया गया है।
जब इसे खंगाला गया तो पता चला कि शिशु रोग विशेषज्ञ को यह भलीभांति पता था कि मासूम की सर्जरी केवल गुडग़ांव में कहां उपलब्ध है। उधर, उपायुक्त डॉ. आरके पुरूथी ने पुष्टि करते हुए कहा कि इस बात की सूचना मिली थी कि दो-तीन दिन के बच्चे को सर्जरी के लिए रैफर किया गया है। इसके बाद तुरंत ही रैडक्रॉस के जरिए गरीब माता-पिता को 3000 की आर्थिक मदद दी गई, साथ ही गुडग़ांव तक पहुंचने के लिए नि:शुल्क एंबुलेंस उपलब्ध करवाई गई।
उपायुक्त ने बताया कि प्रशासन बच्चे की सर्जरी को लेकर भी फॉलोअप करेगा। बहरहाल कोरोना संकट के दौरान समूचे प्रदेश में शायद यह पहला ही मामला होगा जब गरीब परिवार के नवजात बच्चे को बचाने के लिए इस स्तर पर कोशिश की गई हो। उपायुक्त डॉ. आरके परुथी ने रैडक्रॉस के चालक राम सिंह के हौसले की भी तारीफ की है। उनका कहना था कि प्रशासन मदद उपलब्ध करवा सकता है, लेकिन धरातल पर पायलट की वजह से ही बच्चे की शिफ्ट किया जाना संभव था।
उधर, पायलट राम सिंह का कहना था कि बगैर ब्रेक के गुडगांव तक 2 दिन के बच्चे को ले जाने पर थोड़ा डर तो था लेकिन हौसला बरकरार था। इसी के बूते वह सवा 3 घंटे के आसपास गुडगांव पहुंचने में सफल हुए। राम सिंह का यह भी कहना था कि लॉकडाउन की वजह से हाईवे पर वाहन काफी कम थे, लेकिन ऐसा भी नहीं था कि हाईवे हर जगह पर पूरी तरह से क्लियर हो। पायलट ने कहा कि नाहन से गुडग़ांव तक औसतन 120 किलोमीटर की स्पीड को प्रति घंटा मेंटेन करना पड़ा बच्चे के पिता से भी बात की तो उन्होंने बताया कि इलाज चल रहा है।