नाहन। एक तरफ जहां कोरोना को लेकर दिन प्रतिदिन स्थिति गंभीर होती जा रही है तो वही ऐसी विकट स्थिति में पंजाब के लुधियाना से 14 प्रवासी पैदल ही जिला सिरमौर की सीमा में प्रवेश कर गए हैं। हैरानी तो इस बात की है कि यह प्रवासी काला अंब बैरियर की जगह किसी और रास्ते से हिमाचल में प्रवेश कर गए। जैसे ही यह 14 प्रवासियों का झुंड राष्ट्रीय राजमार्ग चंडीगढ़ देहरादून नाहन से 2 किलोमीटर दूर दोसड़का पहुंचा तो पुलिस नाके पर इन्हें रोक दिया गया।
उत्तरांचल के इस प्रवासी कामगारों के झुंड में एक महिला अपने दूध मुंहें बच्चे तथा दो छोटी छोटी लड़कियों के साथ सड़क पर ही लेटे हुए हैं। इनकी हालत को देखते हुए आने जाने वाले हर व्यक्ति का दिल पसीज रहा है। तो वही ड्यूटी के साथ-साथ प्रदेश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भले ही पुलिस ने इनको यहां रोक दिया हो मगर इंसानियत का एक बड़ा चेहरा भी यहां देखने को नजर आया।
दोसड़का नाके पर पुलिस के द्वारा इनको खुद के लिए लाया गया भोजन करवाया गया। तो वहीं टूरिज्म सेंटर दोसड़का के द्वारा इनको चाय पानी भी पिलाया गया। चिंता की बात तो यह है कि इनमें से 34 प्रवासी कामगारों की तबीयत बिगड़ने लगी पड़ी है। जिनमें से दो व्यक्ति ऐसे हैं जिनमें संभवत जुखाम, बुखार व सर दर्द आदि के लक्षण नजर आ रहे हैं।
बता दें कि यह सभी प्रवासी कामगार लुधियाना एक धागा मिल में काम करते थे। इन कामगारों ने बताया कि उन्हें खाना खिलाना सब टीवी पर नजर आता है मगर 2 दिन कोई खाना खिलाता है 3 दिन भूखे रहना पड़ता है। उत्तरांचल के इन कामगारों ने बताया कि वे 4 दिन से पैदल चले हुए हैं।
इसके साथ में उत्तरांचल सरकार को भी कोसते नजर आए। इन्हें यह जानकारी मिली थी कि चंडीगढ़ से उत्तराखंड के लिए बस लगाई गई है। अब यह सब पैदल ही लुधियाना से चंडीगढ़ पहुंचने में देरी कर गए। यह सभी प्रवासी कामगार सेक्टर 28 चंडीगढ़ उत्तराखंड भवन में भी गए। इनमें से कुछ व्यक्तियों ने बताया कि उन्हें 1 दिन का खाना खिला कर वहां से धक्के मार कर भगा दिया।
इनमें से कुछ का मेडिकल चेकअप हुआ है जबकि कुछ का लुधियाना से नाहन तक पहुंचने में कोई मेडिकल चेकअप नहीं हुआ है। ऐसे में इनका हिमाचल की सीमा में पहुंचना वह भी बिना किसी टेस्ट के खतरनाक भी साबित हो सकता है। बड़ी बात तो है कि इनके साथ छोटे-छोटे बच्चे हैं। दोपहर 2:00 बजे खबर लिखे जाने तक इनकी सुध लेने के लिए कोई भी नहीं पहुंचा था। अब देखना यह होगा कि जिला सिरमौर प्रशासन इन परेशान कामगारों को कैसे इनके उत्तराखंड की सीमा में जाने देगा।