नाहन। कोविड-19 के संकट के चलते महिला एवं बाल विकास विभाग राजगढ़ द्वारा 190 आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से करीब पांच हजार बच्चों और गर्भवती व धात्री महिलाओं को घर घर जाकर एक माह का संतुलित आहार उपलब्ध करवा दिया गया है ं। जिसकी पुष्टि बाल विकास परियोजना अधिकारी डॉ0 आभा पंवार ने की है । बता दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के कारण प्रदेश में सभी आंगनबाड़ी केंद्र बंद कर दिए गए थे । जिस कारण सरकार ने घर घर पर जाकर आहार बांटने के लिए विभाग को निर्देश दिए गए हैं ।
डॉ0 आभा पंवार ने बताया कि कोरोना संकट के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा फील्ड में कोरोना योद्धा बनकर लोगों को मास्क पहनने, समाजिक दूरी बनाए रखने तथा हाथ धोने के तरीकों बारे व्यवहारिक जानकारी देने में अहम भूमिका निभाई है । इसके अतिरिक्त बाहर से आए लोगों पर विशेष नजर रखने व उसकी सूचना प्रशासन को देने में भी बेहतरीन कार्य किया जा रहा है ।
पर्यवेक्षिका बिमलेश शर्मा ने बताया कि राजगढ़ ब्लॉक में कुल 190 आंगनबाड़ी केंद्र क्रियाशील है जिनके माध्यम से 4202 छोटे बच्चों और 802 गर्भवती व धात्री महिलाओं को घर घर जाकर आहार उपलब्ध करवा दिया गया है । जिसमें न्यूट्री मिक्स, खिचड़ी, दलिया, दूध चीनी, बिस्कुट, काला चना, राजमाह इत्यादि आहार दिया गया है ।
उन्होने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों में हर माह की पहली और 15 तारीख को बच्चे का वजन किया जाता है और यदि कोई बच्चा कुपोषण का शिकार पाया जाता है तो बच्चे के स्वास्थ्य की जांच करवाने के उपरांत चिकित्सक के परामर्श के अनुरूप विशेष आहार प्रदान किया जाता है । इसके अतिरिक्त गर्भवती और धात्री महिलाओं की काऊंसलिंग की जा जाती है ताकि माताएं अपने बच्चे का सही तरीके से पालन पोषण कर सके ।
पर्यवेक्षिका बिमलेश शर्मा ने बताया कि राजगढ़ ब्लॉक में कुल 190 आंगनबाड़ी केंद्र क्रियाशील है जिनके माध्यम से 4202 छोटे बच्चों और 802 गर्भवती व धात्री महिलाओं को घर घर जाकर आहार उपलब्ध करवा दिया गया है । जिसमें न्यूट्री मिक्स, खिचड़ी, दलिया, दूध चीनी, बिस्कुट, काला चना, राजमाह इत्यादि आहार दिया गया है ।
उन्होने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों में हर माह की पहली और 15 तारीख को बच्चे का वजन किया जाता है और यदि कोई बच्चा कुपोषण का शिकार पाया जाता है तो बच्चे के स्वास्थ्य की जांच करवाने के उपरांत चिकित्सक के परामर्श के अनुरूप विशेष आहार प्रदान किया जाता है । इसके अतिरिक्त गर्भवती और धात्री महिलाओं की काऊंसलिंग की जा जाती है ताकि माताएं अपने बच्चे का सही तरीके से पालन पोषण कर सके ।