चंडीगढ़। भारत की पूर्व डिप्टी कंट्रोलर और ऑडिटर जनरल श्रीमती अजंता दयालन ने सोमवार, 1 जून को केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल, चंडीगढ़ बैंच के प्रशासनिक मैंबर का पद संभाला। इस बैंच के अधिकार क्षेत्र में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब राज्यों के साथ-साथा चंडीगढ़, जम्मू कशमीर, और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश आते हैं।
श्रीमती अजंता दयालन अपनी मौजूदा तैनाती से पहले सीएटी के इलाहाबाद बैंच के प्रशासनिक मैंबर के तौर पर तैनात थे।
श्रीमती अजंता दयालन भारतीय ऑडिट और अकाऊँट सर्विस (आईएएएस) के 1978 बैच की अधिकारी हैं। उनके पास विभिन्न पदों संबंधी केंद्र और राज्य सरकारों में काम करने का 38 सालों से अधिक का तजुर्बा है। अपनी सेवामुक्ति से पहले, वह 2 साल तक डिप्टी कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया और भारतीय ऑडिट और अकाऊँट सर्विस की प्रमुख थीं। इस तरह, वह केंद्रीय और राज्य सरकारों के ऑडिट के लिए ऑडिट नीति के साथ जुड़े सभी मामलों के लिए जिम्मेदार थीं; आईएएएस अधिकारियों और कर्मचारियों के मामलों का कैडर कंट्रोल; और संयुक्त राष्ट्र के ऑडिट समेत अंतर्राट्रीय संबंधों के लिए जिम्मेदार थीं।
उन्होंने 6 सालों से अधिक समय तक कैबिनेट सचिवालय में अतिरिक्त सचिव/संयुक्त सचिव के तौर पर भी सेवा निभाई। यहाँ वह उच्च स्तरीय नीति निर्माण और फैसले लेने में सहायता करने के लिए और भारत सरकार के आर्थिक और सामाजिक मंत्रालयों जैसे कि वित्त, वाणिज्य, कृषि, खाद आदि से लेकर मंत्रीमंडल और इसकी समितियों के सभी प्रस्ताव /मुद्दों को पेश करने के लिए जिम्मेदार थीं।
उनको बिजली क्षेत्र का गहरा ज्ञान है क्योंकि उन्होंने पंजाब राज्य बिजली बोर्ड के मैंबर (वित्त) और पंजाब राज्य बिजली रेगुलेटरी कमीशन की संस्थापक सचिव के तौर पर सेवाएं निभाई हैं। पहले टैरिफ ऑर्डर में ही, पंजाब में कृषि सप्लाई के लिए टैरिफ, जो अब तक मुफ्त थी, लागू किया गया।
उन्होंने तीन राज्यों पंजाब, हरियाणा और केरल के अकाउंटेंट जनरल के तौर पर भी सेवाएं निभाईं।
उन्होंने यूएसए, चीन, यूके, कैनेडा, ब्राजील, नीदरलैंड आदि कई देशों में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व किया। वह यूएनसीएचएस और यूएनओ में यू एन ऑडिट टीम की टीम लीडर भी थीं।
अजंता दयालन उत्तर प्रदेश से सम्बन्धित हैं और उनके पिता स्व. जस्टिस मुरली धर (सेवामुक्त) अलाहाबाद हाई कोर्ट के जज थे और एक माननीय सीनियर वकील और बार ऐसोसिएशन के अध्यक्ष भी थे। अजंता दयालन आईआईटी कानपुर और हारवर्ड कैनेडी स्कूल के पूर्व विद्यार्थी भी थे।