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    हिमाचल प्रदेश

    राज्यपाल ने सीमावर्ती क्षेत्रों में गैर कानूनी नशा तस्करी रोकने पर दिया बल

    By Himachal VartaJune 26, 2020
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    नशाखोरी के विरूद्ध अभियान को बनाया जाएगा जन आंदोलनः मुख्यमंत्री

    शिमला।  नशीली दवाओं के सेवन और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस का आयोजन आज यहां राज्य पुलिस मुख्यालय में किया गया। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर अपने संबोधन में राज्यपाल ने सीमावर्ती क्षेत्रों में गैर कानूनी तस्करी को रोकने के लिए अधिक सतर्कता और सतत प्रयासों पर बल दिया। उन्होंने कहा कि नशाखोरी से न केवल एक व्यक्ति या परिवार बल्कि पूरा समाज प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन को इस सामाजिक बुराई के उन्मूलन के लिए अधिक प्रयास करने की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने प्रसन्नता जताई कि पुलिस प्रशासन इस बुराई को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। उन्होंने लोगों से नशे के विरूद्ध अभियान में पुलिस से सहयोग करने की अपील की।

    राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देवभूमि के नाम से जाना जाता है तथा इसकी संस्कृति, जीवन शैली, विचारधारा बहुत समृद्ध है, परंतु यह दुर्भाग्य की बात है कि राज्य में नशाखोरी की समस्या एक विकराल रूप धारण कर चुकी है तथा यदि इसे शीघ्र न रोका गया तो आने वाले दिनों में स्थिति और अधिक खराब हो सकती है।

    श्री दत्तात्रेय ने राज्य सरकार द्वारा गैर कानूनी तस्करी को रोकने के लिए ड्रग फ्री हिमाचल ऐप्प को आरंभ करने की पहल का स्वागत किया तथा कहा कि हम तकनीक की सहायता से समाज में परिवर्तन ला सकते हैं। उन्होंने पुलिस के खूफिया विभाग को सुदृढ़ करने की भी सलाह दी। उन्होंने गैर सरकारी संस्थाओं को नशे के विरूद्ध जागरूकता अभियान में शामिल करने का भी सुझाव दिया।

    राज्यपाल ने कहा कि नशीली दवाओं के सेवन और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस विश्व समुदाय द्वारा इस समस्या से निपटने के लिए हमारे सांझे प्रण और सहयोग का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आज हम दो मोर्चों पर लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों मोर्चों पर हमारा पुलिस बल बेहतरीन कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थान, शैक्षणिक संस्थान, गैर सरकारी संस्थान, सामाजिक संगठन और प्रत्येक व्यक्ति को समाज को नशाखोरी की बुराई से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि हमारा पुलिस बल इन संस्थाओं को इस अभियान में भागीदारी के लिए प्रेरित कर रहा है।

    उन्होंने कहा कि अभिभावक, शिक्षक, चिकित्सक तथा स्वयंसेवी संस्थाओं को प्रशिक्षित करके स्वास्थ्य और पुनर्वास के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने अधिक पुनर्वास केंद्र स्थापित करने पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर द्वारा पदार्थों के प्रतिमान तथा अधिकतम उपयोग पर एक राष्ट्रीय सर्वे किया गया है। सर्वे में यह बात सामने आई है कि 10 से 75 वर्ष की आयु के 14.6 प्रतिशत लोग शराब का प्रयोग करते हैं, जिनकी संख्या लगभग 16 करोड़ है। लगभग 5.2 प्रतिशत लोग जिनकी संख्या अनुमानतः 5.7 करोड़ है, शराब के कारण प्रभावित हैं, जिसका अभिप्राय यह है कि भारत में हर तीसरे शराब पीने वाले व्यक्ति को सहायता की आवश्यकता है तथा हम इस प्रकार यह समझ सकते हैं कि यह समस्या कितनी गंभीर है।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि यद्यपि नशा व्यापारियों के खिलाफ बड़ी संख्या में मामले दर्ज किए गए हैं, परंतु इनमें से अधिकतर लोग पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता नशा व्यापारियों के बारे में पड़ोसी राज्यों से जानकारी सांझा करना है। उन्हांेने कहा कि उन्हीं की पहल पर हिमाचल के पड़ोसी राज्य जैसे पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, राज्यस्थान आदि राज्य इस सामाजिक बुराई जो हमारे समाज के अस्तित्व के लिए खतरा बन चुकी है, को रोकने के लिए सांझा रणनीति बनाने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस विषय पर पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ पहली बैठक पंचकुला में आयोजित की गई थी। उन्होंने कहा कि बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि नशा तस्करी पर जानकारी सांझा करने तथा संयुक्त रूप से निगरानी करने के लिए पंचकुला के सांझा सचिवालय स्थापित करने का निर्णय लिया गया है।

    जय राम ठाकुर ने कहा कि मादक पदार्थों का इस्तेमाल एक वैश्विक समस्या है तथा हमें अपने समाज के अस्तित्व को बचाने के लिए इसका पूरी ताकत से विरोध करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों के तस्करों को पकड़ने के लिए अधिक सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जो लोग मादक पदार्थों की तस्करी में सम्मिलित पाए जाएंगे, उनकी संपत्ति जब्त की जाएगी। उन्होंने कहा कि भारी संख्या में युवाओं द्वारा सिंथैटिक ड्रग का प्रयोग करना चिंता का सबब है। उन्होंने कहा कि युवाओं को मादक पदार्थों के हमारे शरीर, दिमाग और समाज पर पड़ने वाले कुप्रभावों पर जागरूक करने के लिए विशेष प्रयास करने चाहिए।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में नशेड़ियों द्वारा चरस का अधिक प्रयोग किया जाता रहा है, परंतु अब सिंथैटिक ड्रग का सेवन एक बड़ी समस्या के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि नशीले पदार्थों की आदत न केवल व्यक्ति बल्कि उससे संबंधित लोगों तथा पूरे समाज पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों के प्रयोग तथा तस्करी के कारण अपराध, बीमारी, सड़क हादसे, घरेलु हिंसा, गाली-गलौच, नौकरी छूटना तथा बेघर होना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

    जय राम ठाकुर ने कहा कि युवाओं को रचनात्मक कार्यों से जोड़ने के लिए लंबी अवधि की योजना बनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अभिभावकांे को भी अपने बच्चों के असाधारण व्यवहार पर नजर रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नशाखोरी के विरूद्ध अभियान को एक जन आंदोलन बनाया जाना चाहिए तथा किसी भी अभियान की कामयाबी के लिए जन भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अपराधियों को जल्द पकड़ने तथा तस्करी पर जानकारी सांझा करने के लिए प्रभावी तंत्र विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों की लत से व्यक्ति का शारीरिक तथा मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

    मुख्यमंत्री ने अपराध का प्रभावी विश्लेषण करने के लिए फिंगर प्रिंट ब्यूरो को एफएसएल जुन्गा से वापिस लेकर पुलिस विभाग के तहत सीआईडी विंग के नियंत्रण में लाने की घोषणा की। उन्होंने पुलिस विभाग के अधिकारियों की सुविधा के लिए पंथाघाटी के नजदीक राजपत्रित अधिकारियों के लिए मैस निर्माण की घोषणा की। उन्होंने कहा कि साईबर क्राईम प्रयोगशाला को पुलिस विभाग को वापिस सौंपने की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा।

    जय राम ठाकुर ने कहा कि शिमला में पुलिस विभाग के गैर राजपत्रित कर्मचारियों के लिए मैस की मांग तथा पुलिस आरक्षी को अगले वेतनमान प्रदान करने के लिए आठ साल की सेवा शर्त को छूट देने की मांग को भी सरकार द्वारा जांचा जाएगा।

    शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की पहल पर ही नशीले पदार्थों की समस्या को हल करने के लिए पड़ोसी राज्य संयुक्त रणनीति बनाने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में स्कूली विद्यार्थियों का नशाखोरी में संलिप्त पाया जाना चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि शिमला जिसे एक समय देश के शिक्षा हब के रूप में जाना जाता था, अब नशेड़ियों तथा नशा तस्करों के लिए स्वर्ग बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि बच्चों को नशाखोरी के विरूद्ध प्रेरित करने के लिए अभिभावकों को अपने बच्चों की तरफ अधिक ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को खेलों तथा अन्य पाठेत्तर गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

    अतिरिक्त मुख्य सचिव सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता निशा सिंह ने कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग विद्यार्थियों और युवाओं को नशाखोरी के खिलाफ प्रेरित करने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि इस सामाजिक बुराई में पहले से फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए ग्रामीण महिला मंडलों और युवक मंडलों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण हुए लाॅकडाउन में कई युवाओं को सही मार्गदर्शन और पुनर्वास की आवश्यकता है।

    अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह मनोज कुमार ने कहा कि नशाखोरी एक सामाजिक बुराई है, जिस पर आम लोगों को जागरूक करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पुलिस को इन गतिविधियों में शामिल लोगों को पकड़ने तथा इनकी आपूर्ति श्रृंखला को तोड़ने के लिए अग्र सक्रियता दिखानी चाहिए। उन्होंने कहा कि नशाखोरी के हमारे शरीर, दिमाग और समाज पर पड़ने वाले कुप्रभावों को रोकने के लिए जागरूकता पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

    पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि नशाखोरी तथा नशा तस्करी के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं तथा समाज को बचाने के लिए उन्हें रोकने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस समस्या से प्रभावी रूप निपटने के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि फिंगर प्रिंट ब्यूरो को राज्य पुलिस के तहत लाया जाना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से जांच में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि साईबर अपराध प्रयोगशाला को पुलिस बल के अधीन वापिस लाया जाना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से शिमला में पुलिस मैस बनाने तथा राज्य की राजधानी शिमला में विभागीय कार्य से आने वाले जवानों को सहायता प्रदान कर रही गैर सरकारी संस्थाओं के लिए मैस बनाने का भी आह्वान किया।

    कांगड़ा के पुलिस अधीक्षक विमुक्त रंजन ने इस अवसर पर कांगड़ा जिला में नशा तस्करी के मामलों पर प्रस्तुति दी। सिरमौर जिला के पुलिस अधीक्षक एके शर्मा ने जिला सिरमौर में नशा तस्करी पर अपने विचार सांझा किए। कुल्लू जिला के पुलिस अधीक्षक गौरव ने भी नशा तस्करी विशेषकर कुल्लू जिला में सिंथैटिक दवाओं के इस्तेमाल पर अपने विचार सांझा किए।

    महापौर सत्या कौंडल, उप महापौर शैलेंद्र चैहान, प्रधान सचिव ओंकार शर्मा, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक होमगार्ड और सिविल डिफेंस एसबी नेगी, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राज्य सतर्कता और एंटी करप्शन ब्यूरो अनुराग गर्ग, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सीआईडी अशोक तिवारी, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सशस्त्र पुलिस और प्रशिक्षण/कानून और व्यवस्था एन वेणुगोपाल भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

     

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