चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने कोविड-19 संकट के दौरान गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित एवं निर्बाध संस्थागत प्रसूति सुविधाएं उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करने के लिए राज्य भर में सार्वजनिक एवं निजी स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसूति सुविधाओं को सुदृढ़ करने पर विशेष बल दिया है।
एक सरकारी प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि गैर कोविड अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं के लिए अलग से एलडीआर कक्ष यानी (प्रसव, प्रसूति और रिकवरी) का प्रावधान करने के अतिरिक्त उन कोविड पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं के दाखिले और प्रसूति के लिए भी आइसोलेशन वार्ड का प्रावधान किया गया है, जिन मामलों में उन्हें विशेष कोविड अस्पतालों में भेजना संभव नहीं है।
उन्होंने बताया कि प्रसूति इकाई में उपस्थित गर्भवती महिलाओं की प्रवेश बिंदु पर स्क्रीनिंग की जाती है ताकि संभावित कोविड और गैर कोविड मामलों के बीच संपर्क की संभावना को कम किया जा सके। इसके अतिरिक्त, आशा और एएनएम द्वारा अपने-अपने संबंधित क्षेत्रों में आईएफए, कैल्शियम, एल्बेंडाजोल जैसी आवश्यक दवाओं का घर-घर जाकर वितरण किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि उच्च जोखिम वाले प्रसूति मामलों की सूची तैयार करके उन्हें जिला नियंत्रण कक्षों और संबंधित क्षेत्रों की प्रभारी आशा/एएनएम/चिकित्सा अधिकारियों के साथ सांझा किया जा रहा है ताकि ऐसी गर्भवती महिलाओं को समय पर अस्पतालों में पहुंचाया जा सके जिन्हें उच्चतर प्रसूति सुविधाओं की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि पहली रेफरल इकाई (एफआरयू)के आशा और एएनएम तथा स्त्री रोग विशेषज्ञ के संपर्क नंबर भी उच्च जोखिम वाले प्रसूति मामलों के साथ सांझा किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की अंतिम तिमाही के दौरान आशा एवं एएनएम द्वारा दूरभाष पर उनसे सम्पर्क करके उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली जाती है ताकि उन्हें प्रसूति के लिए समय पर अस्पताल में रेफर किया जा सके। उन्होंने बताया कि कोविड संकट के दौरान संस्थागत प्रसूति की सुरक्षा के संबंध में गर्भवती महिलाओं द्वारा परामर्श करने और इससे जुड़े किसी भी प्रश्न का उत्तर देने के लिए टेलीमेडिसिन सेवाएं भी उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि पूर्व-कोविड अवधि (अप्रैल,2019 से फरवरी,2020 तक) और कोविड अवधि (मार्च से मई, 2020)की तुलना और एचएमआईएस पोर्टल से प्रसूति डाटा के विश्लेषण से पता चलता है कि राज्य में कुल सूचित प्रसवों में से पूर्व कोविड अवधि के दौरान 95.8 प्रतिशत संस्थागत प्रसूतियां हुईं जबकि कोविड अवधि के दौरान संस्थागत प्रसूति 95.4 प्रतिशत रही। इसी प्रकार, पूर्व कोविड अवधि के दौरान सार्वजनिक संस्थागत प्रसूति कर दर 59.3 प्रतिशत और कोविड-19 के दौरान 59.4 प्रतिशत रही जबकि पूर्व कोविड अवधि के दौरान निजी संस्थागत प्रसूति की दर 40.7 प्रतिशत और कोविड-19 के दौरान 40.6 प्रतिशत रही।