नाहन। कुछ कर गुजरने की चाह हो तो मंजिल की राह मिल जाती है। नियमित जिम्मेदार के अलावा लीक से कुछ हटकर करने वाले चंद ही होते हैं। इन शब्दों की कसौटी पर 2009 बैच के आईएएस अधिकारी डाॅ. आरके परुथी खरा उतरते हैं। बेटी बीएएमएस की पढ़ाई कर रही है। बेटा कुरुक्षेत्र से होटल मैनेजमेंट कर रहा है। अगर यह कहा जाए कि मात्र 9 महीने में ही बेशुमार उपलब्धियां अर्जित की हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी, क्योंकि तीन महीने तो कोरोना संकट से जूझने में निकले हैं। लेकिन उपायुक्त ने इसे भी कुछ हटकर करने का अवसर माना। बता दें कि आईएएस अधिकारी डाॅ. परुथी ने बतौर ज़िलाधीश पहली शुरूआत सिरमौर से ही की है। इसके अलावा आयुर्वेद के निदेशक रहने के अलावा अन्य पदों पर भी प्रशासनिक सेवाए हैं। लाजमी तौर पर आपके जहन में पहला यही सवाल उठेगा कि ऐसा क्या कर दिया। इसका जवाब ये पढ़कर जान जाएंगे…
तीन मर्तबा…
महज एक साल के अंतराल में ही सिरमौर को राष्ट्रीय पटल पर तीन मर्तबा गौरव हासिल हुआ। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान में अलग सोच रखने पर सिरमौर को देश भर में चौथा रैंक हासिल हुआ। यही नहीं, पाॅलीब्रिक्स बनाने का आईडिया तो समूचे देश में चर्चित हो गया। दिल्ली में दूसरा रैंक हासिल करने पर अवार्ड प्रदान करते-करते नामी फिल्म स्टार आमिर खान( Amir Khan) ने उपायुक्त डाॅ. आरके परुथी के समक्ष इस शुरूआत के प्रति काफी जिज्ञासा दिखाई।
एक वक्त था, जब सिरमौर में क्षय रोग को लेकर समूचे प्रदेश में सबसे अधिक चिंता रहती थी, लेकिन अब आईएएस आरके परुथी के नेतृत्व में ऐसा भी मुकाम आया, जब टीबी के उन्मूलन में सिरमौर को देश भर में चौथा स्थान मिला। जनपद ने 2019 की रैंकिंग के लिए 94.78 का स्कोर किया।
ये हटकर…
आयुर्वैद की परंपरागत विधियों की अहमियत बखूबी प्रयोगात्मक तरीके से सामने लाई गई। क्वागधार में पंचवटी का काॅन्सेप्ट सिरमौर से ही शुरू हुआ, जिसे आज सरकार ने भी अपनाया है। पच्छाद क्षेत्र के बागपशोग में देश के पहले शी हाट की शुरूआत की गई। इसका मकसद महिलाओं की आर्थिकी को सुदृढ़ करना है। बता दें कि शी हट से जुड़ा सवाल लोकसेवा आयोग की प्रतियोगितात्मक परीक्षा में भी पूछा जा चुका है। पवित्र मारकंडा नदी की स्वच्छता को लेकर अभियान की शुरूआत भी हुई। उदगम स्थल से कालाअंब तक इस कार्य को तवज्जो दी गई है। उपायुक्त द्वारा शुरू किया गया एक दिन स्कूल के नाम व एक दिन पंचायत के नाम कार्यक्रम भी काफी चर्चित रहे। शुरूआती चरण में उपायुक्त ने खुद स्कूलों में जाकर छात्रों को पाॅलीब्रिक्स बनाने के लिए प्रेरित किया। इससे जहां प्लास्टिक का उन्मूलन तय होता है, वहीं बच्चों को रैपर थ्रो करने की आदत से भी बचाया जा सकता है। यही नहीं इसी के बूते पाॅलीब्रिक्स टायलेट व बैंच इत्यादि भी बने हैं।
कोरोना संकट में भी कारगर उपाय…
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार इस बात का आह्वान किया था कि कोरोना संकट को भी एक अवसर माना जाना चाहिए। आपको बता दें कि उपायुक्त डाॅ. आरके परुथी बखूबी इस बात से परिचित हैं। लिहाजा, अपने लीक से हटकर कुछ करने के जज्बे को यहां भी सार्थक साबित किया। डाॅ. वाईएस परमार मेडिकल काॅलेज में कोरोना टैस्टिंग लैब शुरू करवाने में अहम भूमिका निभाई। ये प्रदेश की छठी कोरोना टैस्टिंग लैब है। यही नहीं, दिल्ली गेट के समीप साईंस ब्लाॅक के भवन में कोरोना आयुर्वेद अस्पताल भी क्रियान्वित किया जा रहा है।
एक खास बात यह भी है कि सिरमौर में हरेक विकास खंड के स्तर पर कोरोना की सैंपलिंग की व्यवस्था है। नाहन में भी सबसे पहले कोरोना सैंपलिंग बूथ स्थापित हुआ था। समूचे प्रदेश में शायद ही कोई जिला ऐसा हो, जहां हरेक विकास खंड में कोरोना टैस्टिंग की सुविधा उपलब्ध हो। वैश्विक महामारी के दौरान किसानों व बागवानों की चिंता को भी प्राथमिकता दी गई। इसके लिए किसान हेल्पलाइन शुरू की गई है। आयुष किट तो खासी चर्चा में आई। रोग प्रतिरोधी क्षमता में इसका इस्तेमाल सबसे पहले फ्रंटलाइन योद्धाओं के लिए किया गया। इसके बाद संक्रमितों को भी इससे लाभ मिला। आम लोगों के लिए भी इसे उपलब्ध करवाया गया है।
ऐसे हिमाचल को राह …
रविवार को ही खबर आई थी, सरकार बुजुर्गों के लिए पंचवटी पार्क बना रही है। ऐसे पार्क की शुरूआत सिरमौर में क्वागधार से हो चुकी है। वैश्विक महामारी में सैलून चलाने वालों के लिए प्रशिक्षण का विचार भी सिरमौर से ही सामने आया था। आयुष किट की शुरूआत सिरमौर से हुई। 6 विकास खंडों में क्वाथशाला की शुरूआत भी पहली मर्तबा सिरमौर से ही हुई है। ऐसे पौधे रोपित करने का अभियान भी 5 जून को चलाया गया, जो पानी को शुरू करते हैं। वैश्विक महामारी में उपायुक्त कार्यालय में पहली टच फ्री हैंड सेनिटाइजर मशीन को स्थापित किया गया। प्लास्टिक का बेहतरीन उपयोग करते हुए लोक निर्माण विभाग के सहयोग से एक किलोमीटर सड़क का निर्माण किया गया।