नाहन। गुरु शिष्य के अटूट मिलन और मधुर संबंधों का प्रतीक गुरु पूर्णिमा का पर्व यहां से लगभग 40 कििमी दूर रविवार को रेणुकाजी तीर्थ में बड़ी श्रद्धा और सादगी के साथ मनाया गया। इस मौके पर श्रद्धालुओं ने अपने गुरु की आराधना और पूजा-अर्चना करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया।
हालांकि, अनलॉक-दो के नियमों का पालन करते हुए श्रद्धालुओं और गुरु भक्तों की संख्या हजारों की जगह दर्जनों में ही सिमट कर रह गई। यहां तक कि आश्रमों के द्वार भी बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बंद रखे गए थे। केवल स्थानीय शिष्यों की आवाजाही को ही बहाल रखा गया था।
जहां सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए शिष्यों ने बारी-बारी से अपने गुरु की आराधना करके उनके चरणों में शीश नवाकर भेंट अर्पित की। महामंडलेश्वर स्वामी दयानंद भारती, निर्वाण आश्रम के महंत महात्मा रेणेंद्र मुनि व संन्यास आश्रम के संचालक स्वामी दीनदयाल पुरी सहित अनेकों संत-महात्माओं और गुरुओं ने गुरु पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डाला।
साथ ही शिष्यों को गुरु पूर्णिमा की बधाई देते हुए गुरु के बताए सद्मार्ग पर चलने का आह्वान किया। इस मौके पर अखंड रामायण पाठ के साथ हवन-यज्ञ का आयोजन भी किया गया, जिसमें दर्जन भर श्रद्धालुओं ने पूर्णाहुति प्रदान करके गुरु का आशीर्वाद प्राप्त किया।