बदल दिए गए थे दोनों एक्स ई एनएच-72 में भी हुई थी बड़ी धांधली,एक वर्ष बीत जाने के बाद भी विस प्राक्कलन समिति के आदेशों पर एनएच ने नहीं की कार्रवाही
पांवटा-शिलाई एनएच पर प्रयोग की गई घटिया निर्माण सामग्री व मेटलिंग पर समिति ने दिये थे उच्च स्तरीय जांच के आदेश
नाहन। पांवटा साहिब शिलाई राष्ट्रीय राजमार्ग पर 1 वर्ष पूर्व किए गए 13 करोड के मेटलिंग टेंडर में एक बड़े घोटाले की आशंका व्यक्त की जा रही है| हैरानी की बात तो यह है कि 1 वर्ष बीत जाने के बाद भी विधानसभा प्राक्कलन समिति के आदेशों पर एनएच द्वारा कार्यवाही नहीं की गई है।
विधानसभा प्राक्कलन समिति ने बीते वर्ष 9 और 10 जुलाई को जिला सिरमौर में शिलाई पांवटा साहिब राष्ट्रीय राजमार्ग का निरीक्षण किया था । असल में प्राक्कलन समिति को इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर मेटलिंग के कार्य में घटिया सामग्री प्रयोग किए जाने की शिकायत मिली थी।
यही नहीं निर्माण कार्य में भी बहुत सारी खामियां पाई गई थी। उस दौरान जिला में राष्ट्रीय राजमार्ग का जिम्मा मौजूदा लोक निर्माण विभाग के एक्सईएन वीके अग्रवाल के पास था । यह मामला राजनीतिक रसूख के चलते रफा-दफा करने का भी प्रयास किया गया था।
जबकि इसकी जगह राष्ट्रीय राजमार्ग तथा लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को आपस में शफल भी कर दिया गया था। जांच के दौरान तत्कालीन सभापति रमेश धवाला ने जांच के आदेश भी जारी किए थे। तथा रमेश धवाला ने यह भी आदेश दिए थे कि घटिया निर्माण सामग्री के लिए ठेकेदार तथा एक्सईएन पर कड़ी कार्यवाही अमल में लाई जाए। हैरानी इस बात की है कि ना तो ठेकेदार पर कोई कार्यवाही हुई है और ना ही विभाग के अधिकारी के खिलाफ कोई एक्शन लिया गया है।
ऐसे में करोड़ों रुपए डकार जाने वाले अधिकारी व ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही ना किए जाने को लेकर सरकार एक बार फिर कटघरे में है।इस बाबत जब राष्ट्रीय राज मार्ग मार्ग की मुख्य अभियंता अर्चना ठाकुर से बात की तो उन्होंने बताया कि रिव्यू बैठक में इस मामले पर सचिव स्तर के अधिकारियों से बात भी हुई थी।
उन्होंने बताया कि विभाग के द्वारा कांट्रेक्टर की बैंक गारंटी को जब्त करने की कार्यवाही भी की जा रही थी। मगर ठेकेदार दें उच्च न्यायालय से स्टे आर्डर ले लिया है।
माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा यह आदेश दिया गया था कि आर्बिट्रेटर लगाकर इस मामले का फैसला किया जाए। विभाग के द्वारा आर्बिट्रेटर लगा दिया गया है तो वही ठेकेदार के द्वारा भी आर्बिट्रेटर लिया गया है। जिस पर अब फैसला आना बाकी है।
जानकारी तो यह भी है कि तत्कालीन विभाग का अधिकारी एक बार पहले भी शिलाई में पोस्टिंग के दौरान सस्पेंड हुए थे।जानकारी तो यह भी है कि एनएच 72 मोगी नंद से कोलर तक झंडू कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किए गए कार्य में भी मोटी धांधली हुई है ।
इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर कुछ किलोमीटर तक पुरानी सड़क की मशीन के द्वारा क्रो लिंग की गई थी । इस मामले में सड़क से निकाला गया मेटेरियल फिर से री साइकिल कर बिछाया गया था जबकि नई सामग्री का बिल लगाया गया था ।
इस वाले मामले में भी बड़ी ही घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ था। और बड़ी बात तो यह है कि संबंधित सड़क का ठेकेदार पैसे भी ले चुका है। बावजूद इसके सर पर वरद हस्त होने के कारण इस मामले पर भी लीपापोती कर दी गई है।आज इस सड़क की करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद फिर से हालत पतला हो गई है।
जानकारी तो यह भी है कि इस वाले सड़क के ठेकेदार के द्वारा बड़े ही कम रेट डाले गए थे। ऐसे में अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर इस सड़क के निर्माण में भी भारी धांधलियां हुई हैरान करने वाली बात तो यह है कि इस मामले में भी ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई!