बीपीएल के भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सरकार को बनाने चाहिए कड़े मापदंड
नाहन। बीपीएल के नाम पर चल रहे भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सरकार को कड़े नियम बनाकार नए सिरे से सर्वेक्षण किया जाना चाहिए ताकि पात्र निर्धन व्यक्ति सरकार से मिलने वाली विभिन्न सुविधाओं से वंचित न रहे। जिला सिरमौर की राजगढ तहसील के बुद्धिजीवी व्यक्तियों रतन सिंह, देवेन्द्र कुमार, विश्वा नंद ठाकुर, कमल स्वरूप, नीरज कुमार, रामकृष्ण, बालक राम निर्मोही सहित अनेक लोगों का कहना है कि बीपीएल के नाम पर प्रदेश में बहुत बड़ा रैकेट चल रहा है जिस झझल्को की उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए और बीपीएल के नाम पर गरीबों का अधिकार छीन रहे समृद्ध परिवारों को बाहर किया जाना चाहिए।
उन का मत है कि बीपीएल का चयन ग्राम सभा के माध्यम से नहीं होना चाहिए क्योंकि ग्राम सभा में गांव के प्रभावशाली व्यक्तियों का दबादबा बना रहता है जिस कारण ग्रामसभा में गरीबों की फरियाद अनसुनी हो जाती है और बीपीएल में गलत लोगों का चयन हो जाता है। वरिष्ठ नागरिक विश्वानंद, लेखराम, कमल स्वरूप इत्यादि लोगों का कहना है कि प्रभावशाली लोगों द्वारा संयुक्त परिवार में रहते हुए अपने वारिसों के अलग अलग राशन कार्ड बनाए गए है ताकि इनका नाम बीपीएल के खाते में जुड़ सके।
यही नहीं पीडीएस से मिलने वाले का भी इसी वर्ग को सबसे ज्यादा फायदा हो रहा है। इनका कहना है कि बीपीएल के चयन के लिए विशेष सर्वेक्षण करवाया जाना चाहिए ताकि वास्तविक रूप से गरीब लोगों का चयन हो सके। इनका आरोप है कि बीपीएल के चयन में ग्राम सभा नहीं अपितु प्रधान का सबसे अधिक रोल रहता है और प्रधान द्वारा अपने सभी चहेतों का नाम बीपीएल में डाला जाता है । कुछ निर्धन परिवारों से जब इस बारे बात की गई तो उन्होंंने अपनी व्यथा सुनाते हुए बताया कि कोरोना संकट में कोई फ्री राशन नहीं मिला।
पंचायत द्वारा जो समृद्ध परिवार बीपीएल में नहीं थे ऐसे परिवारों को पीएचएच मेें डालकर उन्हें फ्री राशन दिया गया। खंड विकास अधिकारी राजगढ़ रमेश शर्मा ने बताया कि बीपीएल में चयन का अधिकार ग्राम सभा को है और बीपीएल की सूचियों की समीक्षा हर वर्ष अप्रैल माह में ग्राम सभा में की जाती है। इस दौरान लोगों को समृद्ध व्यक्तियों को बीपीएल से बाहर करने बारे मामला उठाना चाहिए परंतु ऐसा नहीं होता है जिस कारण बीपीएल लिस्टें यथावत रहती है।