विवादित मेडिकल कॉलेज को पांचवें बैच की एलओपी जारी
नाहन (हिमाचलवार्ता)। असुविधा और अनियमितताओं के बावजूद नाहन मेडिकल कॉलेज को पांचवें बैच की इजाजत मिल चुकी है। हालांकि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया पर हाल ही में ऑनलाइन जानकारी ली गई थी कि जो बैकलॉग रह गया था उसे पूरा किया गया है या नहीं। इसके बाद मेडिकल कॉलेज के निरीक्षण को लेकर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के द्वारा फिजिकल तौर पर इंस्पेक्शन किया जाना था। अब यह इंस्पेक्शन हुआ या नहीं इसकी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के द्वारा कोई सूचना जारी नहीं की गई। बल्कि चंद चहेतों को इसकी जानकारी देते हुए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने अन्य कार्य की तरह भी औपचारिकता निभाई।
अब आपको यह भी बता दें कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की गाइड लाइन के अनुसार स्टूडेंट के लिए हॉस्टल, कॉलेज और रेजिडेंस में डिस्टेंस बिल्कुल नजदीक होना चाहिए। उसके साथ साथ कॉलेज का एडमिन ब्लॉक बनाने से पहले स्टूडेंट के रहने का व्यापक इंतजाम होना चाहिए। मगर आप जानकर हैरान हो जाएंगे की 5 साल होने को आ गए हैं, मगर मेडिकल कॉलेज के पास ना तो अभी तक अपना हॉस्टल है और ना ही कैंटीन। यहां तक की पुरानी जर्जर बिल्डिंग में पूरा का पूरा मेडिकल कॉलेज चलाया जा रहा है। ना तो अच्छे इक्विपमेंट्स है और ना ही बेहतरीन लैब।
सूत्रों की माने तो मेडिकल कॉलेज कथित पुरानी बिल्डिंग कि मेंटेनेंस और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम के आने के दौरान पेपर फॉर्मेलिटी की औपचारिकता पर ही लाखों रुपए की अनियमितताएं पाए जाने के अंदेशे हैं। यही, नहीं इस मेडिकल कॉलेज में स्टूडेंट्स को हर महीने 90 हजार रुपयों का पानी पिलाया जाता है। इससे पहले भी इस मेडिकल कॉलेज में खरीद फरोख्त को लेकर घोटाले के आरोप लग चुके हैं। जब-जब मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम ने निरीक्षण हेतु आना होता था उससे पहले ही डेपुटेशन पर आईजीएमसी और टांडा से स्टाफ मंगाया जाता था।
उनके जाते ही यह स्टाफ फिर से वापस चला जाता था। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि मेडिकल कॉलेज से 5 साल के बाद जो स्टूडेंट पास आउट होकर जाएगा वह किस तरह का एमबीबीएस डॉक्टर होगा। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि मेडिकल कॉलेज के नाम पर एक बड़ा खिलवाड़ किया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज में अव्यवस्थाओं का आलम बरकरार है। और सबसे हैरानी की बात तो यह है कि यह मेडिकल कॉलेज की जो नई बिल्डिंग बन रही है वह बॉटल नेक जगह है। यानी कह सकते हैं कि जब अभी शहर में इतना जाम लगता है और मरीज बिगड़ी हालत में इमरजेंसी तक पहुंच नहीं पाता है तो आने वाले समय में और कितने बुरे हालात इस मेडिकल कॉलेज को लेकर शहर के हो जाएंगे इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।
हालांकि इस मेडिकल कॉलेज के तमाम व्यवस्थाओं खरीद-फरोख्त आदि को लेकर उच्च स्तरीय जांच की मांग पहले भी की जा चुकी है बावजूद उसके अभी तक मेडिकल कॉलेज अपने ढर्रे पर चल रहा है। उधर, जब मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल एनके महेंद्रू से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जो भी अनियमितताएं रही है उनकी जांच कर रहे हैं। जो इतना महंगा पानी पिलाया गया है उसको लेकर भी जांच की जा रही। उन्होंने पुष्टि करते हुए बताया कि मेडिकल कॉलेज के पांचवें बैच की एलओपी जारी हो गई है।