नाहन (हिमाचलवार्ता)। अन्तर्राष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेला इस बार कोरोना की भेंट ऐसा चडा कि सदियो पुरानी सभी परमपराओं को भुलाकर अपनी नई छाप छोड़ गया! इस बार जहाँ मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु देखे जाते थे वही मात्र दर्जनो में ही लोगों को देखा जा रहा है जबकि पुलिस की संख्या सैंकड़ों में देखने को मिल रही है! हर साल इस मेले का उद्घाटन हिमाचल के मुख्यमंत्री द्वारा किया जाता रहा है मगर इस बार मुख्यमंत्री नहीं आ रहे हैं तथा उन के स्थान पर जिला सिरमौर के उपायुक्त आर के पुरुथी द्वारा किया गया जिला जिस कारण लोगों को बड़ी निराशा हुई है क्योंकि मुख्यमंत्री के आने पर लोगों की कई समस्याएं मौके पर ही सुलझ जाती थी और बहुत विकास के कार्यो को नई गति मिलती थी जो इस बार शुन्य के समान ही उन्हें दिखाई दे रही हैं! ऐसा लगता है कि मेले को ग्रहण लग गया है! जहाँ तक इस मेले में देवताओ के आने प्रश्न है यहाँ पांच देवताओ के लाने की प्रथा चली आ रही थी मगर इस बार मेले में मात्र तीन देवताओ को ही लाया गया है और वे भी सीधे मेला स्थल पर लाए गए हैं जबकि इस से पहले लोगों के माथा टेकने कूट लिए ददाहू स्थित मैदान में रखा जाता था जहाँ से मुख्यमंत्री देवताओ को कंधा देकर उन्हें रेणुका मेले के लिए बिदा करते रहे हैं मगर इस बार ऐसा कुछ भी नहीं है!
अन्तर्राष्ट्रीय मेले के पूरे क्षेत्र में सैंकड़ों की संख्या में हर प्रकार की दुकाने लगाई जाती थी जिन से मेला कमेटी को लाखों की आय होती थी और मेले में आने वाले श्रद्धालु इन दुकानों से अपनी जरूर के अनुसार सामान खरीदते थे मगर इस बार कोई भी दुकान नहीं लगाई गई और न ही कोई झूला आदि नहीं लगाया गया! मेला शुरू होने के दिन रात को विभिन्न प्रकार के कलाकारों द्वारा रंगारंग कार्यक्रमो का प्रदर्शन किया जाता था जो इस बार सब सूना-सूना लग रहा है! पुरानी पररमपरा के अनुसार श्रद्धालु रात को रेणुका में ही रुक कर दूसरे दिन सुबह एकादशी का स्नान रेणुका झील में करने के बाद अपने घरों में जाते थे जबकि इस बार मेले में इक्का दुक्का ही ठहरने वाले है जिन्हें मन्दिर में ठहरने का स्थान मिला होगा और आस-पास के निवासी सुबह यहाँ आकर स्नान करने आएगे! इस बार मेला केवल नाम मात्र का ही रह गया है!