चण्डीगढ़ (हिमाचलवार्ता)। जल संरक्षण और फसलों का विविधिकरण मौजूदा समय की मांग है। इसके लिए वैज्ञानिकों को ऐसी योजनाएं बनानी होंगी जिससे न केवल जल का संरक्षण हो बल्कि किसान फसल विविधिकरण को भी अपनाने के लिए सहमत हो जाए।
यह बात भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (विस्तार शिक्षा) डॉ. ए.के. सिंह ने हरियाणा व दिल्ली राज्यों के कृषि विज्ञान केंद्रों की राज्य स्तरीय योजना कार्यशाला को ऑनलाइन माध्यम से कही।
इस वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली व चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के विस्तार शिक्षा निदेशालय द्वारा आयोजित किया गया। इस कार्यशाला में आईसीएआर की कृषि तकनीकी अनुप्रयोग संस्थान, जोन-2 जोधपुर (राजस्थान) के करीब 67 कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि चावल व गेहूं के फसल चक्र को बदलना बहुत जरूरी है ताकि पानी का अधिक से अधिक संरक्षण किया जा सके।
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने कहा कि किसानों को नई कृषि तकनीकों के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता है, ताकि उन्हें अपनी कृषि उत्पादकता बढ़ाने में सक्षम बनाया जा सके। इसके लिए वैज्ञानिकों का कर्तव्य बनता है कि वे किसानों को विश्वविद्यालय द्वारा विकतिस आधुनिक तकनीकों जैसे जीरो टिलेज, लेजर लेवलिंग, बेड प्लांटिंग, सूक्ष्म एवं टपका सिंचाई आदि को अपनाने के लिए जागरूक करें। मिट्टी और पानी जैसे बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए संरक्षण कृषि पर जोर देना चाहिए। मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पोषक तत्वों के अतिरिक्त खनन की जांच करनी होगी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्थूल और सूक्ष्म पोषक तत्वों दोनों के असंतुलित उपयोग की मुख्य समस्या है। इसलिए, हमें फसल उत्पादकता को बनाए रखने के लिए उर्वरकों की सिफारिश और अपनाने के बीच की खाई को पाटना होगा। आवास की बढ़ती मांग, शहरीकरण और औद्योगीकरण के बढ़ते स्तर के कारण, उपजाऊ कृषि भूमि का महत्वपूर्ण क्षेत्र गैर-कृषि उपयोग में स्थानांतरित किया जा रहा है। ये कारक किसानों की खाद्य सुरक्षा और आजीविका के अवसरों को खतरे में डाल रहे हैं।
डॉ. आर.एस. हुड्डा ने बताया कि इस कार्यशाला में विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों ने वर्ष 2021 की कार्य योजना को लेकर विस्तारपूर्वक चर्चा की और भविष्य के लिए किसान हितैषी योजनाओं को प्राथमिकता दी। इस कार्यशाला में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से हिसार, फरीदाबाद, फतेहाबाद, कैथल, जींद, रोहतक, सोनीपत, भिवानी, यमुनानगर, झज्जर, कुरूक्षेत्र, महेंद्रगढ़, सिरसा, पानीपत, एनडीआरआई करनाल, आईएआरआई नई दिल्ली, कृषि विज्ञान केंद्र दिल्ली, गैर सरकारी संगठन अंबाला व रेवाड़ी आदि के वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया।