नाहन (हिमाचलवार्ता)। राष्ट्रीय राजमार्ग 707 के मलबे की भेंट चढ़ चुकी तमसा नदी में इन दिनों भारी मलबे व मिट्टी के ढेर लगे हुए हैं। नदी में सड़क निर्माता धत्रवाल कंस्ट्रक्शन कम्पनी द्वारा करोड़ो मीट्रिक टन मलबा फेंका गया है तथा मलबा फेकने का यह क्रम दिनरात जारी है।
जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय राजमार्ग 707 पर जामली से लेकर जलऊ महाराज मंदिर के बीच जगह-जगह कंपनी मलबे को तमसा नदी में डम्प कर रही है, मलबा फेकने के लिए वन विभाग की भूमि को माध्यम बनाया गया है। विभागीय भाग ने धत्रवाल कंस्ट्रक्शन कंपनी को 60 मीटर का स्पेस मलबा फेकने के लिए स्वीकृत किया हुआ है। जिसकी आड़ में सीधा मलबे को 300 मीटर आगे तक नंदी में डाला जा रहा है।
जलऊ महाराज मंदिर के समीप कंपनी द्वारा मलबा फेकने पर वन विभाग ने 50 हजार रुपये जुर्माने की बात कहीं है लेकिन जुर्माना होने के बाद मानो कम्पनी को मलबा फेंकने का रजिस्टर लाइसेंस मिल गया हो यहां बेख़ौफ होकर मलबा नदी में डाला जा रहा है।
मलबा डालने से वन संपदा को भारी नुकसान हुआ है सैकड़ों औषधीय वन संपदा नष्ट हो गई है इतना ही नही बल्कि नदी में हजारों जलचर प्राणी प्रभावित हो रहे है साथ ही दून क्षेत्रों में बाढ़ आने की संभावनाएं बढ़ गई है।
आश्चर्यजनक बात यह है कि खुलेआम नदी में सड़क का मलबा फेंका जा रहा है। करोड़ो मीट्रिक टन मलबा फेंका जा चुका है, लेकिन एनएचएआई मंत्रालय, उपर यमुना बोर्ड, प्रदेश वन विभाग मंत्रालय, केंद्र व प्रदेश सरकार, क्षेत्रीय नेता व सम्बन्धित अधिकारी, कर्मचारी कुम्भकर्णी नींद नजर आ रहे है।
हालांकि मीडिया ने बड़े स्तर पर मामला उठाया है। बावजूद उसके भर्ष्टाचार में लिप्त सिस्टम को वर्तमान व भविष्य में होने वाली तबाही का मंजर दिखाई नही दे रहा है।
सिरमौर वन संरक्षक सरिता द्विवेदी ने मामले पर बताया कि उन्हें राष्ट्रीय राजमार्ग 707 पर जामली व मिनस के समीप धत्रवाल कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा वैतरतीव मलबा फेंकने की सूचना मिली है। जिस पर विभाग सख्त कार्यवाही अम्ल में ला रहा है। विभागीय अधिकारी की मिलीभगत पाई गई तो बख्शा नही जाएगा।