पलक पावड़े बिछा कर रखिए -डॉ एम डी सिंह
दुख स्वीकार्य हो
सुख को आदर सम्मान मिलेगा
कष्ट दबाकर पैर
घर भीतर आ चुपके से ना पाए
पलक पावडे बिछा कर रखिए
फूल माला सजाकर रखिए
साथ अपने वह मधुर
संबंधों की लंबी सूची लेकर आएगा
दुख भारी हो चाहे जितना
सुख ढोलेगा कंधों पर अपने
रूदाली रो कर चली जाएगी
हास ठठाकर पसर जाएगा
रो लेने दें -रो लेने दें
रुदाली को रो लेने दें
तब स्वयं पर, दुखी जगत पर
इस पर उस पर सब पर हंसना आएगा
खीस भरी परिहासी हंसी
अवसाद घुटन संताप भरेगी
फूट पड़ी हंसी पांचाली सी
हाथ सभी के युद्ध धरेगी
पीड़ा का पहाड़ फोड़
निर्झर सी जो निकली
निर्मल कल कल छल छल बहती
सरिता का निर्माण करेगी
संसार सहज सुख सिंचित हो जाएगा
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डॉ एम डी सिंह
महाराजगंज गाजीपुर उत्तर प्रदेश