नाहन (एसपी जैरथ):-सिरमौर के एक पूर्व विधायक से दोस्ती निभाना भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री को भारी पड़ गया है। गिरी पार क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा दिलाए जाने की जगह जाति विशेष को मिले एसटी के दर्जे ने जीत की उम्मीद वाली दो प्रमुख सीटों पर भी समीकरण बिगाड़ने की स्थिति पैदा हो गई है। जिला में नाहन और पांवटा साहिब की 2 सीटें भाजपा की पक्की मानी जा रही थी। हालांकि, पांवटा साहिब में सुखराम चौधरी की स्थिति अभी भी मजबूत है मगर जीत का मार्जन कितना कम जाएगा यह देखना होगा।
वही यदि नाहन विधानसभा क्षेत्र की सीट की बात की जाए तो विपक्ष जीरो टॉलरेंस नीति पर मुद्दा बनाने की बड़ी तैयारी पर है। तो वही गुर्जर वर्ग की बड़ी नाराजगी ने संभावित प्रत्याशी डॉ. राजीव बिंदल की राहों में दिक्कतें खड़ी कर दी हैं। यहां यह भी जान लेना जरूरी है कि 2017 के चुनावों में विधायक डॉ. राजीव बिंदल की जीत में कालाहांडी जिला परिषद वार्ड डिसाइडिंग फैक्टर साबित हुआ था। जिसमें अधिकतर वोट बैंक जिला सिरमौर भाजपा अध्यक्ष विनय गुप्ता का माना जाता है। साथ ही इस पूरे क्षेत्र में सबसे ज्यादा गुर्जर भी बिंदल के साथ जुड़ गए थे।
हालांकि, विधायक ने सरकार से विकास के कार्य कराने में कहीं भी कोई कमी नहीं रखी है मगर काला अंब वार्ड क्षेत्र में सबसे ज्यादा विकास विधायक के द्वारा करवाए गए हैं। ऐसे में सरकार के द्वारा हाटी वर्ग को एसटी का दर्जा देकर सीधे-सीधे मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डाल दिया है। वही 3 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जिन में दलित वर्ग संख्या में भी ज्यादा है और दिए गए एसटी के दर्जे पर अपना विरोध शुरू से दिखा रहा है। सूत्रों की मानें तो पच्छाद, श्री रेणुका जी और शिलाई में एससी वर्ग की संख्या भी ज्यादा है।
जनजातीय दर्जा मुद्दे पर एससी वर्ग और गुर्जर समाज सरकार के फेवर में जाता नजर नहीं आ रहा है। अब यदि श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो यहां विनय कुमार इसलिए भी खुश नजर आ रहे हैं क्योंकि भाजपा में संभावित प्रत्याशी के तौर पर नारायण सिंह का नाम चर्चा में आ रहा है। जबकि विनय कुमार यह अच्छी तरह से जानते हैं कि, पूर्व प्रत्याशी बलवीर और टिकट की दौड़ में शामिल रहे पूर्व विधायक रूप सिंह किसी भी सूरत में नारायण सिंह को जीतने नहीं देंगे।
यह दोनों प्रमुख भाजपा नेता अच्छी तरह से जानते हैं कि यदि नारायण सिंह जीत जाता है तो उन दोनों की पॉलिटिकल डेथ हो जाएगी। श्री रेणुका जी में भाजपा के कुछ दिग्गज वरिष्ठ नेता नए चेहरे अरुण कुमार को ही विधायक विनय कुमार की बड़ी काट मान रहे हैं। मगर यह प्रमुख नेता फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं।
उधर, पच्छाद विधानसभा क्षेत्र में दयाल प्यारी की एंट्री के बाद भाजपा की राहें मुश्किल भरी हो गई है। अब यदि रणनीति की बात की जाए तो जीआर मुसाफिर भाजपा के किले को भेदने के लिए इस बार फिर किंग मेकर की भूमिका में भी आ सकते हैं। वही इस विधानसभा क्षेत्र में पुराने भाजपा कार्यकर्ता कुछ खास नेताओं से बड़े खफा चल रहे हैं। इनमें कुछ ऐसे भी थे जो बाय इलेक्शन में टिकट के पद के दावेदार थे। मगर रीना कश्यप को टिकट दिए जाने के बाद यह प्रमुख पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता बिल्कुल गुमसुम हो गए। जाहिर सी बात है चुप्पी साध लेना अच्छे संकेत नहीं होते।
जाहिर है दयाल प्यारी को भाजपा का नाराज वर्ग और जो दयाल प्यारी के भाजपा में रहने के दौरान काफी नजदीक थे उनके समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि रीना कश्यप कमजोर स्थिति में है मगर यह भी सही है कि कुछ आला नेता उनके लिए बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं। किए गए कार्यों का श्रेय जहां रीना कश्यप को मिलना चाहिए था वही यह श्रेय कोई और ले रहे हैं। बावजूद इसके दयाल प्यारी को सिर्फ रीना कश्यप ही टक्कर दे सकती है इसके अलावा कोई और चेहरा भाजपा की रही सही स्थिति को और खराब कर देगा।
पांवटा साहिब में आम आदमी पार्टी से मनीष की एंट्री और भाजपा में महामंत्री रहे मनीष तोमर की बगावत सुखराम के माथे पर चिंता की लकीरें खींचती है। आम आदमी पार्टी के मनीष के वोट बैंक पर आम आदमी के अनेंद्र सिंह नॉटी क्या गुल खिलाएंगे यह तो पता नहीं। मगर इतना जरूर है कि इन दोनों की वजह से कांग्रेस पार्टी यहां पूरी तरह बैकफुट पर है। ऐसे में पूरे जिला सिरमौर में पांवटा साहिब सीट का मुकाबला सबसे हॉट माना जा रहा है। कुल मिलाकर कहा जाए तो इस डैमेज को भाजपा किस तरीके से कंट्रोल कर पाती है यह देखना बाकी है।