नाहन ( ( हिमाचल वार्ता न्यूज)) (एसपी जैरथ):-प्रदेश में पर्यटन का गेटवे कहलाने वाला ऐतिहासिक नाहन शहर पर्यटकों को आकर्षित कर पाने में नाकाम साबित हुआ है। दर्जनों ऐतिहासिक महत्त्व रखने वाली विरासतो के होने के बावजूद शहर केवल रिटायर्ड लोगों के रहने का ठिकाना मात्र बनकर रह गया है। कोई भी सरकार शहर के लिए ऐसी कोई भी योजना नहीं बना पाई है जिसको लेकर देश का अथवा विदेश का पर्यटक शहर को निहार सके। शहर में रियासत कालीन तालाब है, ऐसी हेरिटेज बिल्डिंग है जिनका बड़ा ऐतिहासिक महत्व है।शहर का ऐतिहासिक तंबू खाना हो या फिर उपायुक्त निवास और कार्यालय इसके अलावा फॉरेस्ट कंजरवेटर कार्यालय, लाल कोठी वगैरा-वगैरा सब पर सरकारी कब्जे हैं। यह वह विरासत हैं जो ना केवल देश के बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित करने का माद्दा रखती हैं। अब यदि यही ऐतिहासिक बिल्डिंग अपनी हिस्ट्री के साथ हेरिटेज होटल का आकार लेती है तो ना केवल स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा बल्कि प्रदेश की जीडीपी में भी बढ़ोतरी होगी। शहर में पर्यटकों के लिए किसी भी ऐतिहासिक विरासत के साथ पार्किंग व्यवस्था है ही नहीं।अब यदि अन्य सरकारी अथवा गैर सरकारी पार्किंग की बात की जाए तो उनमें किराया बहुत ज्यादा है। पर्यटक जब शहर से होकर गुजरता है तो पार्किंग की समस्या को लेकर वह शहर में रुकने से परहेज करता है। यही नहीं अब यदि पर्यटक नाहन शहर में आता भी है, तो सबसे बड़ी समस्या उसको एक लग्जरी एकोमोडेशन की रहती है। शहर के पार्क नशेड़ी अथवा शराबियों का अड्डा बन चुके हैं। विला राउंड आशिकों की अश्लीलता के चलते बदनाम हो चुका है। ऐसे में नाहन शहर पर्यटकों को आकर्षित करें तो कैसे यह आज बड़ा सवाल भी खड़ा हो रहा है।शहर की सबसे प्रमुख विरासत नाहन फाउंड्री है जोकि पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुकी है। स्थानीय विधायक के द्वारा इस फाउंड्री में एक क्राफ्ट विलेज के साथ ऑडिटोरियम बनाए जाने की योजना भी बनाई है। वही इस फाउंड्री में ऐसी मशीनरी हैं जो 100 साल से भी अधिक की उम्र पार कर चुकी हैं। ऐसे में इस फाउंड्री में रखा हर उपकरण कबाड़ नहीं बल्कि एक ऐतिहासिक मॉन्यूमेंट बन चुका है। बावजूद इसके इसमें रखे उपकरणों आदि को कहीं पर भी संरक्षित कर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए संजोया नहीं गया है।फाउंड्री में अभी भी इतना स्पेस है कि शहर के तमाम कार्यालय यहां तक की उपायुक्त व एसडीएम कार्यालय आदि भी इसी फाउंड्री में बनाए जा सकते हैं। शहर में कुछ ऐतिहासिक मेले भी लगते हैं मगर यह मेले केवल स्थानीय स्तर पर ही सिमट कर रह चुके हैं। ऐतिहासिक महत्व के साथ यह मेले विदेशी और देश के पर्यटकों को आकर्षित कर सकें ऐसा कोई भी प्रयास अभी तक किसी भी सरकार के द्वारा नहीं किया गया है। शहर में ऐतिहासिक महत्व रखने वाला तंबू खाने का भवन भी है।यह वह तंबू खाना है जो ना केवल बड़े-बड़े राजा महाराजाओं के स्वागत में सक्रिय भूमिका निभाता था, बल्कि श्री गुरु गोविंद सिंह के स्वागत में भी इसी तंबू खाना के तंबू सजाए गए थे। ऐतिहासिक चौगान मैदान की रेलिंग पर अक्सर लोग बैठकर खेलों का आनंद उठाया करते थे। मगर आज रेलिंग की जगह नुकीले लोहे के जंगले लगा दिए गए हैं। अब यदि बात की जाए शहर के ब्यूटीफिकेशन की, तो स्थानीय विधायक के द्वारा बड़े व्यापक स्तर पर प्रयास भी किए गए। लगभग हर वार्ड में बच्चों के खेलने के लिए पार्क, पार्किंग आदि की व्यवस्थाएं भी करवाई गई।बावजूद इसके अभी भी शहर के अन्य ऐतिहासिक मॉन्यूमेंट्स के संरक्षण के साथ-साथ उसका ब्यूटीफिकेशन किया जाना जरूरी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पर्यटन विभाग के प्रयासों से शहर के ब्यूटीफिकेशन हेतु एडीबी बैंक की सहायता भी ली गई है। जानकारी के अनुसार एडीबी के द्वारा प्राथमिक सर्वे भी किया जा चुका है। चुनावों के परिणामों के बाद सरकार और स्थानीय भावी विधायक की दूरदर्शिता परी अब यह शहर टकटकी लगाए निहार रहा है।
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Sunday, May 18