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    सिरमौर

    गिरिपार के हाटियों को मिला एसटी का दर्जा, राज्यसभा ने ध्वनि मत से पास किया विधेयक

    By Himachal VartaDecember 10, 2022
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    नाहन ( हिमाचल वार्ता न्यूज)(एसपी जैरथ):- आखिरकार जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र की करीब 155 पंचायतों को आजादी के सात दशक बाद उनका हक मिल ही गया। आज देश की संसद ने गिरी पार क्षेत्र के हाटी इलाके को जनजातीय करने वाले विधेयक को ध्वनि मत से पास कर दिया। शीतकालीन सत्र के दौरान राजयसभा में  केंद्रीय जनजाति मंत्री अर्जुन मुंडा ने हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने का विधेयक संसद में रखा जिसे देश की संसद ने ध्वनि मत से पारित कर दिया। गौर हो कि 14 सितंबर 2022 को केंद्रीय कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी थी, लेकिन जब तक संसद से मंजूरी ना मिले तब तक विधेयक लागू नहीं हो सकता आज देश की संसद ने हाटी विधेयक को मंजूरी दे दी है जिससे जिला सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र की 155 पंचायत के लोगों को लाभ मिलेगा। गौर हो कि जिला सिरमौर का गिरी पार का जनजाति क्षेत्र के मुद्दे को लेकर पिछले 7 दशक से राजनीति होती आ रही थी लेकिन इस मर्तबा भारतीय जनता पार्टी द्वारा इसे अमलीजामा पहना दिया। भले ही कांग्रेस पार्टी द्वारा हाटी मुद्दे को लेकर जनता के बीच आज तक दुष्प्रचार किया जाता रहा कि केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलना केवल मात्र चुनावी लॉलीपॉप है। मगर आज संसद से मंजूरी मिलने के बाद उन लोगों के मुंह पर करारा तमाचा है जिन लोगों ने हाटी मुद्दे को लेकर राजनीति चमकाई। गौर हो कि वर्ष 1967 में हिमाचल के साथ लगता उत्तरांचल के बाबर जौनसार इलाके को जनजाति का दर्जा दिया गया है। तब से लेकर आज तक गिरिपार क्षेत्र की जनता अपने वजूद की जंग लड़ रही थी लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने गिरी पार की तीन लाख आबादी को यह तोहफा दिया है। भले ही हाटी मुद्दे का भारतीय जनता पार्टी को कोई चुनावी लाभ नहीं मिला है , लेकिन भाजपा ने इसे मंजूरी देकर जनता को तोहफा दिया है। देश की संसद में शीतकालीन सत्र में केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने इसे संसद के समक्ष रखा जिसे देश की संसद ने ध्वनिमत से पारित कर जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के हाटी कबीले की मांग को पूरा कर दिया है। गौर हो कि संसद से मंजूरी मिलने के बाद बिल अब राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए जाएगा और राष्ट्रपति से विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद जिला सिरमौर तीन लाख आबादी को इसका लाभ मिलना आरंभ होगा। भले ही अभी यह लाभ केवल मात्र 1.60 लाख को मिलना है, क्योंकि अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले समुदाय को एसटी से बाहर रखा गया है।  अनुसूचित जाति वर्ग द्वारा मांग की गई थी कि उन्हें एसटी में शामिल न किया जाए , जिसके चलते केंद्र सरकार द्वारा उन्हें बाहर रखा गया है। गौर हो कि 14 सितंबर को केंद्रीय कैबिनेट ने हाटी विधेयक को मंजूरी दी थी। वही सिरमोर प्रवास के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और हिमाचल प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जिला सिरमौर के गिरी पार के हाटी कबीले को जनजाति का दर्जा देने का जिक्र किया था। बावजूद इसके भी चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी द्वारा इस मुद्दे पर राजनीति की गई , लेकिन आज जब संसद से मंजूरी मिल गई है तो यह उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जो लोग हाटी  मुद्दे को लेकर जनता को गुमराह कर रहे थे।  गिरिपार को जनजाति क्षेत्र घोषित करवाने का श्रेय शिलाई के पूर्व विधायक बलदेव तोमर को जाता है

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