नाहन ( हिमाचल वार्ता न्यूज)(एसपी जैरथ) :- राजगढ़ क्षेत्र में किसानों को कूफरी ज्योति उन्नत किस्म का पांच सौ क्ंिवटल आलू बीज उपदान पर उपलब्ध करवाया गया है । जिसे विभाग द्वारा कूल्लू जिला के मनाली से आयात किया गया था । विभाग द्वारा किसानों को 50 किलोग्राम का बेग 1825 रूपये में उपलब्ध्ध करवाया गया जिस पर केवल 562 रूपये सबसीडी प्रदान की गई है। कृषि विभाग राजगढ़ के विषय विशेषज्ञ डॉ0 हीरा लाल आजाद ने बताया कि विभाग द्वारा 4775 रूपये प्रति क्ंिवटल आलू खरीदा गया है जिस पर किसानों को 1125 रूपये प्रति क्ंिवटल सबसीडी दी जा रही है अर्थात किसानों को 3650 रूपये प्रति क्ंिवटल आलू उपलब्ध करवाया जा रहा है ।
कृषि उपकरण व उन्नत किस्म के बीज पर सबसीडी कम किए जाने पर किसानों में पूर्व भाजपा सरकार के प्रति नाराजगी जताई है । विभागीय कार्यालय राजगढ़ में विभिन्न क्षेत्रों से आए किसानों का कहना है कि अतीत में कृषि उपकरण व उन्नत किस्म के बीजों पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता था जिसे घटाकर करीब 24 प्रतिशत किया गया है जोकि ऊंट के मुंह में जीरा वाली बात है । अनेक प्रगतिशील किसानों का कहना है कि सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति जागरूक नहीं है जबकि किसान देश की आर्थिकी की रीढ़ है ।
बता दें कि राजगढ़ के छोगटाली, दीदग, झांगन, लाना चेता, नेरी कोटली, हाब्बन, पझौता, खेड़ाधार इत्यादि क्षेत्रों में किसानों द्वारा हर वर्ष हजारों टन आलू का उत्पादन किया जाता है जिससे किसानों की आर्थिकी काफी सुदृढ़ हुई है । डॉ0 आजाद ने बताया कि किसानों को उनकी मांग के अनुरूप आलू उपलब्ध करवाया गया है । बताया कि आलू की बुआई का कार्य दिसंबर और जनवरी माह में किया जाता है । कूफरी ज्योति आलू की राजगढ़ क्षेत्र में सात से दस गुणा पैदावार दर्ज की गई है ।विभागीय सूत्रों के अनुसार कि लाहौल अथवा मनाली का आलू की राजगढ़ क्षेत्र में अच्छी पैदावार होती है और औसतन 20 क्ंिवटल आलू प्रति बीघा उत्पादन होता है । सिरमौर जिला में करीब दो हजार हैक्टेयर भूमि में प्रतिवर्ष 40 हजार टन आलू का उत्पादन होता है जिसमें राजगढ़ के अलावा पच्छाद, संगड़ाह, हरिपुरधार, शिलाई तथा नाहन और पांवटा के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में काफी मात्रा में आलू की पैदावार की जाती है ।
उन्होने बताया कि कूफरी ज्योति आलू 130 से 150 दिनों में तैयार होता है । उन्होने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती से आलू का उत्पादन किया जाए तथा आलू की फसल में देसी गाय के गोबर की एक टन खाद एक बीघा भूमि में डाले जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति भी कायम रहने के साथ साथ मिटटी का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है । उन्होने कहा कि फसल में देसी केंचुए क उपयोग केे अतिरिक्त जीवामृत का छिड़काव 15-15 दिन के बाद किया जाना चाहिए ताकि अच्छी फसल हो सके ।
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Saturday, May 17