नाहन (हिमाचल वार्ता न्यूज):– प्रदेश का जिला सिरमौर पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाओं के बावजूद पर्यटकों को आकर्षित कर पाने में नाकाम साबित हुआ है। जिला सिरमौर ना केवल आंतरिक, राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को अपनी ओर खींचने का जबरदस्त मदरसा रखता है बल्कि कुल्लू, मनाली, शिमला जैसे विकसित पर्यटन क्षेत्रों से भी कहीं ज्यादा आकर्षण रखता है।इस नाकामी की सबसे बड़ी वजह अविकसित सड़कें बन रही हैं। टूटी-उखड़ी तथा संकरी सड़कें जान को जोखिम में तो डालती ही है साथ ही पर्यटक भी इनकी हालत देखकर कन्नी काट जाता है। बता दें कि पर्यटन की सफलता सुविधाओं के विकास पर निर्भर करती है।जबकि ना केवल भाजपा सरकार के दौरान बल्कि कांग्रेस सरकार में भी इस जिला के जनप्रतिनिधि राष्ट्रीय स्तर पर बड़े ओहदेदार हैं। मौजूदा सरकार में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान सिरमौर से ही ताल्लुक रखते हैं तो वहीं शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद और प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सुरेश कश्यप भी इसी जिला से हैं।यही नहीं पूर्व सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे सुखराम चौधरी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रहे डॉ. राजीव बिंदल भी इसी जिला से ताल्लुक रखते हैं। हैरानी तो इस बात की यह भी है कि हिमाचल के निर्माता स्वर्गीय डॉ. वाईएस परमार भी इसी जिला की देन रहे हैं। बावजूद इसके सिरमौर आज भी पर्यटन के क्षेत्र में सबसे पिछड़ा हुआ कहा जा सकता है।
अब आप यह भी जानकर हैरान हो जाएंगे कि राज्य पर्यटन विकास निगम के द्वारा एक बेहतर व्यवस्था भी यहां विकसित की हुई है बावजूद इसके अतिथि को एक बेहतर सड़क हवाई मार्ग अथवा रज्जू मार्ग आदि दे पाने में नाकाम है। बता दें कि जिला में 140 होटल, 109 होमस्टे और 100 से अधिक रेस्टोरेंट भी है।यही नहीं पर्यटकों की सुविधा के लिए 19 ट्रेंड गाइड तथा 20 ट्रैवल एजेंट पर्यटन विभाग में और रजिस्टर्ड हैं। जिला सिरमौर ना केवल सामान्य पर्यटक को आकर्षित करता है बल्कि व्यवसायिक, शैक्षणिक, स्वास्थ्य, सांस्कृतिक, इको टूरिस्ट, धार्मिक, साहसिक, वाइल्ड लाइफ आदि पर्यटन के विभिन्न प्रकारों को आकर्षित कर पाने के लिए दमदार भूमिका निभा सकता है।जिसके लिए भगवान परशुराम की जन्मस्थली श्री रेणुका जी, ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब, मां बाला सुंदरी त्रिलोकपुर टेंपल, मां भंगायनी देवी हरिपुरधार, भूरेश्वर मंदिर सराहां, श्रृंगी ऋषि की गुफाएं, सतयुग कालीन पौड़ी वाला शिव मंदिर, पातालियो शिव मंदिर आदि धार्मिक पर्यटन को आकर्षित कर सकता है।तो वहीं हिस्टोरिकल टूरिज्म के लिए सुकेती फॉसिल पार्क, रियासत कालीन तालाबों का शहर नाहन, ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री टोका साहिब आदि दर्जनों ऐतिहासिक एवं सतयुग कालीन विरासते हैं जो धार्मिक पर्यटन को बार-बार बांधने का मादा रखती है।इसके अलावा शैक्षणिक पर्यटन के मध्य नजर आईआईएम मेडिकल कॉलेज, डेंटल कॉलेज कृषि विज्ञान एम रिसर्च सेंटर धौला कुआं, अकाल यूनिवर्सिटी बडू साहिब, हिमालयन इंस्टीट्यूट काला अंब के साथ-साथ नाहन की महिमा लाइब्रेरी ज्ञान का खजाना समेटे हुए हैं। ऐसे ही शी हॉट जैसा उपक्रम भी सिरमौर में है जो सिरमौर के पहाड़ी व्यंजनों को पर्यटन में महत्वपूर्ण स्थान देता है।जिला की माइनिंग औद्योगिक क्षेत्र और पीच वैली राजगढ़ व्यावसायिक पर्यटन को आकर्षित कर सकता है। जिला के पास सिंबल वाड़ा वाइल्ड सेंचुरी और श्री रेणुका जी वेटलैंड जैसा पारस पत्थर भी है जो जीव विज्ञानि पर्यटन को अपनी और खींच सकता है।अब यदि प्रदेश की सरकार पर्यटन को जनसेवा उद्योग का दर्जा देती है तो निश्चित ही अतिथि ना केवल देव साबित होगा बल्कि प्रदेश की जीडीपी के लिए भी वह वरदान देने वाला होगा। गौरतलब हो कि पर्यटन की सफलता सुविधाओं के विकास पर निर्भर करती है।यही नहीं जितना जरूरी सरकार का योगदान होता है उतनी ही सहभागिता लोगों की भी जरूरी होती है। पर्यटन क्षेत्र की आर्थिक समृद्धि और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाता है। जाहिर सी बात है जनता का अतिथ्य और शिष्टता भी पर्यटकों को आकर्षित करती है।