नाहन ( हिमाचल वार्ता न्यूज) ( लक्ष्य शर्मा):– जिला मुख्यालय नाहन में उत्पात मचाने वाले सैंकड़ों बंदरों से जनता सालों से परेशान है। सरकार की कोई भी योजना बन्दरों के आतंक से निजात नही ला सकी। हमलावर बने बन्दर भारी नुकसान कर रहे है। टेली फोन ,इंटरनेट की केबल ध्वस्त कर देते हैं। अब तो बिजली के खंबों की इतना हिलाते की तारे टूट जाती है ऐसे में पूर्व में एक हादसा पक्का टैंक के नजदीक हो चुका है। छतों पर लगे गेट,ग्रिल हिला हिला कर तोड़ रहे है। गमलों को तोड़ देते है। महंगे प्लांट्स उखाड़ कर फेंक रहे है पानी की टंकियों के ढक्कन उखाड़ फेंकते है। बंदरों का इतना आतंक इतना है कि लोग अपने घरों को छतों पर जाने से कतराने लगे हैं। दुकानों के बाहर लगे फ्लेक्स बोर्ड ध्वस्त करने में पीछे नहीं है।आरोप है कि संबंधित विभाग के अधिकारियों ने कुछ साल पहले एक सर्वे के आधार पर रिपोर्ट तैयार करके राज्य सरकार को भेजी जिसमे नाहन में बंदरों की संख्या नीचे गिरने के आंकड़े दिए गए थे। इसी आधार पर केंद्र सरकार हिमाचल प्रदेश में उत्पाती बंदरों को मारने के लिये तहसील को लिए सूची बद्ध किया तो नाहन तहसील के नाम गायब हो गया क्योंकि बंदरों की संख्या कम दिखाई गई थी। जबकि वास्तव में उत्पाती बंदरों की संख्या कही अधिक संख्या थी। इस लिए कम दिखाई गई थी कि अगर संख्या ज्यादा रही तो तहसील सूची शामिल हो जायेगी और बंदर मरवाने पड़ेगें शहर के ज्यादातर हिस्से मे बंदर हमलावर बने है। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि बहुत एनीमल लवॅरर्स ने स्टे डॉगस के साथ उत्पात मचाने वाले बंदरों को शहर में ब्रेड बिस्कुट खिलाना शुरू क र दिया है ऐसे जब खाने को नही मिलता तब लोगों पर हमला कर देते है। आलम तो यह है कि कभी एक दूसरे के दुश्मन माने जाने वाले लंगूरों भी बंदरों के साथ हो गए है।