शिमला ( हिमाचल वार्ता न्यूज़ ) रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) इसके लिए सीमा पर बसे गांवों के लोगों को सब्जियां और फल उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। इन क्षेत्रों में सेब के फल उगाने से लेकर विभिन्न सब्जियों जैसे मूली, गोभी, फूलगोभी, ब्रोकोली, ककड़ी आदि को पैदा किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में यह विदेशी सीमा किन्नौर और लाहौल स्पीति जिलों से लगती है। बताया जा रहा है कि इस योजना से दो लाभ होंगे।एक तो जवानों की सेहत ठीक रहेगी और उन्हें डिब्बाबंद खाने से गुजारा नहीं करना होगा। दूसरा गांववासियों को भी इससे स्थानीय स्तर पर ही स्वरोजगार मिलेगा। इस तरह के प्रयोग लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में भी हो चुके हैं। लद्दाख की शुष्क भूमि में रहने वाले लोग साल भर ताजी सब्जियां उगाना शुरू कर चुके हैं। शुष्क क्षेत्रों के लिए तो कृषि विशेषज्ञों ने एक नया ग्रीनहाउस मॉडल विकसित किया है। विशेषज्ञों की एक टीम लद्दाख किसान जवान विज्ञान मेले में इससे संबंधित एक मॉडल प्रदर्शित कर चुकी है। इससे सशस्त्र बलों के लिए डिब्बाबंद भोजन खाने की आवश्यकता को समाप्त किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के सीमाई क्षेत्रों में सब्जियां और फल उगाने के लिए राज्य के कृषि और बागवानी विश्वविद्यालयों के सेवारत और सेवानिवृत्त विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है। सीमाई क्षेत्रों के ग्रामीण भी अब इसे मुनाफे का काम मानकर इसमें रुचि दिखाने लगे हैं। वे सीमाई क्षेत्र में अंदर तक जाकर अपनी जमीनों पर फसलें उगाने में दिलचस्पी लेने लगे हैं और इसके लिए डीआरडीओ की मदद से अपनी जमीनों पर कृषि व बागवानी फसल उत्पादन ढांचा भी मजबूत कर रहे हैं।
Breakng
- सिरमौर के सुरेंद्र हिंदुस्तानी को रेलवे विकास निगम में मिली बड़ी जिम्मेदारी
- बड़े स्तर पर अवैध खनन मारकंडा नदी में हो रहा है : डॉ बिंदल
- उपायुक्त की अध्यक्षता में हुई जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक
- जामना से पकड़ी 55 शीशीयां नशीला सिरप व 16,700 कैश, आरोपी गिरफ्तार
- एवीएन स्कूल के दो विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षा की मेरिट सूची में मिला स्थान
- मोदी की ताकत का लोहा दुनिया मानती है लेकिन भारत के विपक्षी दलों को तकलीफ़ होती है : प्रताप सिंह रावत
Sunday, May 18