काँगड़ा ( हिमाचलवार्ता न्यूज़ ) दलाई लामा ने कहा कि चीन के दिवंगत राष्ट्रपति माओ से तुंग से जब मेरी आखिरी मुलाकात हुई थी, तो उन्होंने धर्म को जहर बताया था। अगर वह आज जीवित होते, तो वह बौद्ध धर्म के अनुयायी होते।धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि अहंकार-ईर्ष्या जैसी नकारात्मक और विध्वंसकारी शक्तियों से स्वार्थी प्रवृत्ति जन्म लेती है। इसके प्रभाव में हम युद्धों और संघर्षों में उलझकर दूसरों को मारते और नुकसान पहुंचाते हैं। अहंकार, क्रोध और ईर्ष्या के कारण दुनिया दो विश्व युद्ध झेल चुकी हैं और तीसरे की तैयारी है। दलाई लामा ने बुधवार को पालमपुर के ताशी जोंग मठ में प्रवचन के दौरान यह बात कही। अगर आपके अंदर शांति होगी तभी आप अपने आसपास शांति पैदा कर सकेंगे। हर कोई शांति की बात करता है मगर यह शांति आसमान से नहीं टपकेगी, मन के भीतर से ही शांति पैदा होगी। अगर हम में दूसरों के कल्याण की भावना पैदा हो जाए तो आपका मन अपने आप शांत और खुश हो जाएगा। इसी पर शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य भी निर्भर करता है। हर सुबह उठकर मैं बौद्धिचित्त और शून्यता के सिद्धांत का अभ्यास करता हूं। इन महत्वपूर्ण सिद्धांतों के माध्यम से हम अपनी स्वार्थी प्रवृत्ति से मुक्ति पा सकते हैं। इससे आपको जो खुशी मिलेगी।
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Friday, May 17