शिमला ( हिमाचल वार्ता न्यूज)जिला शिमला में पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम के लिए सोसायटी के पुनर्गठन को लेकर उपायुक्त अनुपम कश्यप की अध्यक्षता में शुक्रवार को बैठक हुई। इस सोसायटी का संचालन अब प्रबंधन समिति द्वारा किया जाएगा। उपायुक्त ने कहा कि शिमला में आजादी से पूर्व ही वर्ष 1933 में दि शिमला सोसायटी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ क्रूएल्टी टू एनिमल के नाम से पंजीकृत थी। फिर इसे 2001 में पुन: पंजीकृत करवाया गया था। ऐसे में पिछले कई सालों से सोसायटी व्यापक स्तर पर कार्य नहीं कर पा रही है। जिला प्रशासन अब दोबारा इस सोसायटी को नए सिरे में पुनर्गठित करने जा रहा है। इस सोसायटी के संचालन के लिए भारतीय जीव-जंतु कल्याण बोर्ड के दिशा-निर्देशों से जिला स्तर पर प्रबंधन समिति बनाई जाएगी।
अगले सप्ताह प्रबंधन समिति की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। सोसायटी में वित्तीय आधार को विकसित किया जाएगा, ताकि बेसहारा पशुओं को बेहतर सुविधाएं देने में कोई दिक्कत पेश न आए। उन्होंने कहा कि बेसहारा पशुओं, विशेषकर गाय, कुत्ते, बिल्ली और बंदरों आदि की समस्या देश के सभी भागों में व्याप्त हो गई है, चाहे वह ग्रामीण, शहरी या अद्र्घ-शहरी क्षेत्र हो, इसलिए ऐसे असहाय पशुओं को पर्याप्त आश्रय, चारा, स्वास्थ्य सुविधाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत कार्य किया जाएगा। जिलाभर में पशुओं की सुरक्षा एवं देखभाल के लिए आने वाले समय में एक रोड मैप तैयार किया जाएगा। आम जनता को बेसहारा पशुओं के बारे में जागरूक करते हुए मानवता कार्य में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसमें एक साल की सदस्यता के लिए 100 रुपए का शुल्क तय किया गया, जबकि उम्रभर के लिए सदस्यता शुल्क 10 हजार रुपए निर्धारित किया गया है।