नाहन ( हिमाचल वार्ता न्यूज) (एसपी जैरथ):– हिमाचल प्रदेश सरकार के अनुसूचित जनजाति विकास विभाग ने सिरमौर जिले के हाटी इलाके के एसटी प्रमाण पत्रों को “वैध” घोषित कर दिया है।यह फैसला 1 जनवरी 2024 से 3 जनवरी 2024 के बीच जारी किए गए प्रमाण पत्रों पर लागू होगा। इस फैसले से सिरमौर जिले के ट्रांसगिरि इलाके के हाटी समुदाय के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
दरअसल, सरकार के अनुसूचित जनजाति विकास विभाग ने इस मामले में विधि विभाग से परामर्श किया. लिहाजा, विधि विभाग ने उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार प्रमाण पत्रों को वैध घोषित करने की सिफारिश की।उधर, हाटी समुदाय के लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया है।
बता दें कि हिमाचल सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (जनजाति विभाग) की ओर से 4 अक्टूबर 2024 को जिलाधीश सिरमौर को एक पत्र जारी किया, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि गिरिपार क्षेत्र में जिन लोगों को 1 जनवरी से 3 जनवरी 2024 तक हाटी जनजाति प्रमाणपत्र जारी हो चुके हैं, वे सभी वैध हैं, अर्थात वे सभी जनजाति के आधार पर लाभ लेने की पात्रता रखते हैं.
इन आदेशों को लागू करने के लिए सिरमौर जिला प्रशासन ने भी 9 अक्टूबर को जिला के सभी एसडीएम, तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों पत्र का माध्यम से आदेश जारी किए गए।इसमें तर्क ये दिया गया है कि 1 से 3 जनवरी तक जिन्होंने अपने जनजाति प्रमाण पत्र बनाए थे, उन्हें इसका अंदाजा नहीं था कि हाटी जनजाति मुद्दे पर उच्च न्यायालय शिमला द्वारा दिए गए अंतरिम स्टे के चलते जनजाति प्रमाणपत्र का लाभ मिलेगा या नहीं।ये प्रमाण पत्र उस वक्त जारी किए गए थे जब सरकार ने एसटी की अधिसूचना जारी थी, लेकिन इसके बाद मामला अदालत में पहुंचा। इस बीच ट्राइबल स्टेटस के सर्टिफिकेट जारी किए गए। हालांकि, फिलहाल ये पता नहीं चल सका है कि इस अवधि में कुछ कितने सर्टिफिकेट जारी हुए थे, लेकिन माना जा रहा है कि इनकी संख्या 60 से 70 के बीच हो सकती है।
उधर, केंद्रीय हाटी समिति ने इसके लिए प्रदेश सरकार और विशेष रूप से अतिरिक्त मुख्य सचिव जनजाति विभाग का आभार जताया है।केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष अमीचंद कमल और महासचिव कुंदन सिंह शास्त्री ने बताया कि इस फैसले से समुदाय के लोगों में खुशी का माहौल है। उन्होंने इस बात का भी अफसोस जताया कि गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजाति का संवैधानिक अधिकार मिलने की गजट अधिसूचना 4 अगस्त 2023 को जारी हुई थी। तब से लेकर 15 महीने का समय बीत चुका है, लेकिन राजनीतिक षड्यंत्र के कारण जनजाति अधिकार का मामला लटका हुआ है।
उच्च न्यायालय में दायर याचिका पर सुनवाई में अंतरिम स्टे के चलते गिरिपार क्षेत्र के हजारों युवाओं को राज्य और केंद्र सरकार में जनजाति कोटे की हजारों नौकरियों में आरक्षण का लाभ लेने से वंचित रहना पड़ा है. उच्च न्यायालय में 21 नवंबर को अगली सुनवाई निर्धारित है। उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्य और केंद्र सरकारों के तथ्यपूर्ण और सकारात्मक जवाब व दावों के चलते माननीय उच्च न्यायालय में भी गिरिपार क्षेत्र की ढाई लाख हाटी जनता को न्याय मिलेगा और जनजाति का लाभ लेने में आ रही सभी बाधाएं भी दूर होंगी ।