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    सिरमौर

    सिरमौर जिला के पझौता व हाब्बन घाटी बुरांस के फूलों से गुलजार

    By Himachal VartaMarch 10, 2025
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    राजगढ़ ( हिमाचल वार्ता)(एसपी जैरथ):-  राजगढ़ क्षेत्र की हाब्बन व पझौता घाटी  इन दिनों बुरांस के फूलों से गुलजार है। जिसका इस क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों द्वारा भरपूर लुत्फ उठाया जा रहा है ।  आयुर्वेद विशेषज्ञों  के अनुसार   बुरांस के फूल औषधीय गुणों से भरपूर है जिसका विभिन्न दवाओं में उपयोग किया जाता है । बुरांस में विटामिन ए, बी-1, बी-2, सी0, ई0 और के0 प्रचुर मात्रा में  पाई जाती हैं जोकि वजन बढने नहीं देते और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रखता है। यही नहीं  बुरांस अचानक से होने वाले हार्ट अटैक के खतरे को कम कर देता है। बुरांस के फूलों का  शर्बत दिमाग को ठंडक देता है और एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण त्वचा रोगों से बचाता है। बुरांस  के फूलों की चटनी बहुत ही स्वादिष्ट होती है जो कि लू और नकसीर से बचने का अचूक नुस्खा है।
    बता दें कि कि बुरांस के फूलों का ग्रामीण परिवेश में बहुत महत्व है । सर्दियों में कम वर्षा होने के चलते इस वर्ष करीब एक पखवाड़ा पहले बुरांस के पेड़ों में फूल आ गए  है । बैशाख  की सक्रंाति को बुरांस के फूलों की माला बनाकर  लोग सबसे पहले अपने कुल देवता के मंदिर तदोपंरात अपने घरों में लगाते हैं जिसे समृद्धि का सूचक माना जाता हैं  । इसके अतिरिक्त लोग बुरांस  पंखुड़ियों को सुखाकर रख लेते हैं जिसे वर्ष  चटनी व अन्य खाद्य वस्तुओं में इस्तेमाल करते हैं । क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिक जय प्रकाश चौहान और शेरजंग चौहान  ने बताया कि बुरांस समुद्र तल से  1500 से 3600 मीटर  की मध्यम ऊंचाई पर पाया जाने वाला वृक्ष है। इस वृक्ष की पत्तियां देखने में मोटी और फूल घंटी की तरह होते हैं। यह वृक्ष स्वतः ही जंगलों में उगता है जिसके देखभाल करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है । बता दें इसका वैज्ञानिक नाम रहोडोडेंड्रन  है। इसके पेड़ों पर मार्च-अप्रैल के महीने में लाल रंग के फूल खिलते हैं। यह पौधा अधिकांश ठंडे जहां तापमान 120 डिग्री सेल्सियस रहता है और ढलान वाली जगहों में उगता है। इसके लिए अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है।
    गौर रहे कि हिमाचल ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बुरांस भरपूर मात्रा में पाया जाता है। शिमला, कांगड़ा, सोलन, धर्मशाला और किन्नौर में बुरांस के  फूलों का प्रयोग अचार, मुरब्बा और जूस के रूप में किया जाता है। जिला के कई क्षेत्रों में महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों द्वारा बुरांस के फूलों को एकत्रित करके स्क्वैश बनाया जा रहा है जोकि इस क्षेत्र महिलाओं के लिए आय का साधन बन चुका है । ग्रामीण परिवेश के लोग बुरांस के फूलों को बाजार में बेचने को भी लाते है और लोग बडे़ चाव से इस फूल को औषधीय कार्य के लिए खरीदते हैं ।ं  वर्तमान परिप्रेक्ष्य में  बुरांस के फूल लोगोें की आय का साधन भी बन गए  है।

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