Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Breakng
    • माजरा एस्ट्रोट्रफ मैदान में एक बिजली का कनेक्शन मात्र लगाने से पानी की व्यवस्था हो सकती है : अनुराग ठाकुर
    • इनर व्हील क्लब क्लासिक ने उपायुक्त सिरमौर का किया भव्य स्वागत
    • 22 मई के दिन आजाद हुए गुरुद्वारा पांवटा साहिब में मनाया शहीदी दिवस
    • विमल नेगी की रहस्यमयी मृत्यु ने अनेक सवाल खड़े किए, कांग्रेस सरकार कुछ लोगों को बचाने में जुटी : बिंदल
    • अगली गलती पर पाकिस्तान में नहीं मिलेंगे जनाज़े उठाने और उन पर रोने वाले: अनुराग सिंह ठाकुर
    • भांबी भनोत स्कूल की सुरक्षा दीवार तूफान से गिरी, बड़ी अनहोनी टली
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Himachal Varta
    • होम पेज
    • हिमाचल प्रदेश
      • शिमला
      • सिरमौर
      • ऊना
      • चंबा
      • लाहौल स्पीति
      • बिलासपुर
      • मंडी
      • सोलन
      • कुल्लू
      • हमीरपुर
      • किन्नोर
      • कांगड़ा
    • खेल
    • स्वास्थ्य
    • चण्डीगढ़
    • क्राइम
    • दुर्घटनाएं
    • पंजाब
    • आस्था
    • देश
    • हरियाणा
    • राजनैतिक
    Saturday, May 24
    Himachal Varta
    Home»हिमाचल प्रदेश»सिरमौर»भारत रत्न बाबा साहेब डाॅ.अम्बेडकर सदा याद रहेंगे – डा बिंदल।
    सिरमौर

    भारत रत्न बाबा साहेब डाॅ.अम्बेडकर सदा याद रहेंगे – डा बिंदल।

    By Himachal VartaApril 10, 2023
    Facebook WhatsApp
    नाहन  (हिमाचल वार्ता न्यूज) :– भारत रत्न डाॅ. भीमराव रामाजी आंबेडकर, जो स्नेह से बाबासाहेब कहे जाते हैं, निश्चित ही भारत के पूर्व अध्यक्ष एवं नसर्वाधिक यशस्वी सपूतों में से एक हैं। यह शब्द हिमाचल विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एवं नाहन भाजपा के पूर्व विधायक डॉ राजीव बिंदल ने कहा कि डा अम्बेडकरभारत के सामाजिक, राजनीतिक मंच पर 1920 के दशक के प्रारंभ में प्रकट हुए और ब्रिटिश राज के अंत तक भारत के सामाजिक, सांडास्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक कायाकल्प के अग्रस्थान में रहे। सन् 1947 में स्वतंत्रता के बाद से सन् 1956 में मृत्युपर्यंत आधुनिक भारत की नींव रखने में डाॅ. भीमराव आंबेडकर ने महत्वपूर्ण एवं अनूठी भूमिका निभाई।डाॅ. आंबेडकर का जीवन एक अविश्वसनीय आख्यान हैः एक अस्पृश्य बालक, बचपन से जवानी तक कदम-कदम पर अपमानित होता है, सभी विवशताओं को पार करते हुए वैश्विक स्तर के विश्वविद्यालयों से उच्चतम् डिग्रियां प्राप्त करता है। इसके बाद वे अपना जीवन अन्यायपूर्ण एवं मानव अधिकारों से वंचित जातिबद्ध पुरानी सामाजिक व्यवस्था के विनाश हेतु समर्पित कर देते हैं। परिवार के किसी सौभाग्य या किसी राजनीतिक वंशावली के बिना ही केवल कमरतोड़ मेहनत, दृढनिश्चिय, उच्चतम साहस एवं स्वार्थरहित बलिदान के बल पर, जबरदस्त राजनीतिक विरोध तथा सामाजिक भेदभाव पर विजय पाते हुए वे स्वतंत्र भारत के संविधान के प्रधान निर्माता बन जाते हैं। तदोपरान्त वो इस सकारात्मक कार्य के लिए रक्षाकवच बनाने के उद्देश्य से एक अधिक न्याययुक्त समाज, जो लाखों-करोडों दलित लोगों को सामाजिक न्याय दे सके, उसकी स्थापना के कार्य में लग जाते हैं। और इस प्रकार सामाजिक न्याय एवं तार्किकता पर आधारित एक नए भारत निर्माण की बुनियाद रखते हैं। इस प्रक्रिया में वे भारतीय गणतंत्र के साहसी रक्षक बन आधुनिक भारत के सज प्रहरी भी बनते हैं।इस पृष्ठभूमि में स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह भारी अन्याय होगा यदि उन्हें केवल दलितों के नेता के रूप में पहचाना जाए, जैसा कि अकसर जिम्मेदार लोगों के द्वारा भी किया जाता है। डाॅ. आंबेडकर सिर्फ एक दलित नेता या भारत के शोषित लोगों के ही नेता नहीं थे, वे एक राष्ट्रीय नेता थे। उनकी विद्वता, उनका जन आंदोलन, सरकार और उसके बाहर उनकी भूमिका दिखाती है कि उनका राष्ट्रवाद का ब्रांड उन लोगों से बिलकुल अलग था जो ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतन्त्रता की लडाई लड़ रहे थे। डाॅ. आंबेडकर का  राष्ट्रवाद केवल भारतीयों को सत्ता हस्तांतरण तक सीमित नहीं था, अपितु राष्ट्र के पुननिर्माण का कार्य अर्थात् यह सामाजिक समानता और सांस्कृतिक एकता के जरिए युगों पुरानी जातिग्रस्त, अन्यायपूर्ण भेदभाव युक्त सामाजिक व्यवस्था को छोड़कर लोकतांत्रिक गणराज्य का निर्माण था।समाज के नेतृत्वकर्ता के रूप में बाबासाहेब अतुलनीय हैं तो अपने अर्जित गुणों के कारण जिज्ञासा, अध्ययनशीलता और समास्याओं से जूझने के कारण विकारों से दूर रहते हुए समाज की चिंताओं में स्वर मिलाने वाला व्यक्तित्व कैसा प्रखर नेतृत्व दे सकता है, इसके वह उत्कृष्ट उदाहरण हैं।हम केवल 150 साल तक गुलाम रहे पंडित नेहरू जी की यह मान्यता बाबासाहेब को स्वीकार नहीं थी। वह मानते थे कि भारत शताब्दियों बाद स्वाधीन हुआ है तो इस स्वराज्य की रक्षा हर नागरिक का प्रथम कर्तव्य है। इस राष्ट्रहितकारी सोच के साथ समाज का नेतृत्व करते डाॅ. आंबेडकर इस देश के रक्षा कवच प्रतीत होते हैं।
    Follow on Google News Follow on Facebook
    Share. Facebook Twitter Email WhatsApp


    Demo

    Recent
    • माजरा एस्ट्रोट्रफ मैदान में एक बिजली का कनेक्शन मात्र लगाने से पानी की व्यवस्था हो सकती है : अनुराग ठाकुर
    • इनर व्हील क्लब क्लासिक ने उपायुक्त सिरमौर का किया भव्य स्वागत
    • 22 मई के दिन आजाद हुए गुरुद्वारा पांवटा साहिब में मनाया शहीदी दिवस
    • विमल नेगी की रहस्यमयी मृत्यु ने अनेक सवाल खड़े किए, कांग्रेस सरकार कुछ लोगों को बचाने में जुटी : बिंदल
    • अगली गलती पर पाकिस्तान में नहीं मिलेंगे जनाज़े उठाने और उन पर रोने वाले: अनुराग सिंह ठाकुर
    Recent Comments
    • Sandeep Sharma on केन्द्र ने हिमालयी राज्यों को पुनः 90ः10 अनुपात में धन उपलब्ध करवाने की मांग को स्वीकार किया
    • Sajan Aggarwal on ददाहू मैं बिजली आपूर्ति में घोर अन्याय
    © 2025 Himachal Varta. Developed by DasKreative.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.