सफल आप्रेशन कर बच्चे की जान बचाई
नाहन। डॉ वाईएस परमार मेडीकल कालेज नाहन अक्सर सवालों के घेरे में रहता है तो वहीं, इस बार यहां से बेहद ही सुखद व हैरान कर देने वाली खबर है। मैडीकल कालेज के सर्जरी विभाग की टीम ने 11 वर्षीय बालक को न केवल नया जीवन दिया है बल्कि गरीब परिवार का लाखों रूपए खर्च होने से भी बचा लिया है। इतना ही नहीं, यहां इस प्रकार की यह पहली सर्जरी होगी। यहां के जाने माने सर्जन व प्रोफेसर डा. राजन सूद की निगरानी में वरिष्ठ रेजिडेंट डा. शैलेंद्र कौशिक, एनैस्थिसीया से डा. विक्रमजीत अरोड़ा, स्टाफ नर्स प्रियंका आदि टीम का सफल सर्जरी के बाद बच्चे के अभिभावक सहित अन्य लोग सराहना कर रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार शिलाई क्षेत्र के कोटी उतराव गांव से 11 वर्षीय बालक अंकुश करीब 3-4 दिनों से पेट की दर्द से परेशान था। पुछे जाने पर पता चला कि बालक ने लैमचुस के साथ करीब 4 सैं.मी. की प्लास्टिक पाईप को भी गलती से निगल लिया था। जिसके बाद उक्त टीम द्वारा बच्चे का एक्स-रे किया गया, लेकिन साफ नहीं हो पाया, उसके बाद अल्ट्रासांऊड भी किया गया, उसे में भी सिर्फ इतना ही पता चला कि आंत फट चुकी है, लेकिन कहां से आंत फटी है, यह पता नहीं चल पा रहा था। जिसके बाद टीम ने यहां सिमित संसाधनों के बावजूद ऑपरेशन करने का निर्णय लिया, क्योंकि यदि कुछ घंटे देरी होती तो बच्चे की जान को भी खतरा था।
आंत फटने के बाद पेट में फैल सकता था मल
जब टीम ने ऑपरेशन शुरू किया तो पाया कि प्लास्टिक पाईप रैक्टम में फंसी है और पाईम से यह फट चुकी थी। ऐसे में टीम द्वारा पेट से मल की सफाई की गई और मल निकासी के रास्ते को बंद किया गया और अंदर भी टांके लगाए गए। इसके अलावा 2-3 महीनों के लिए मल निकासी का रास्ता पेट से बनाया गया। जब अंदर से जख्म ठीक होंगे तो रास्ते को पुन: वाले स्थान से खोला जाएगा। चिकित्सकों के अनुसार यदि ऑपरेशन में थोड़ी भी देरी होती तो मल अंदर पेट में फैल सकता था, जिससे संक्रमण का खतरा अधिक था। ऐसे मामलों में कई बार रोगी यादाश्त खो सकता है तो वहीं जान का भी खतरा रहता है। ऐसे में टीम ने बिना समय गवाएं बच्चे का रात को ही ऑपरेशन किया।
108 एंबुलैंस की मदद से चंडीगढ़ से मंगवाया सामान
अमूमन इस प्रकार की सर्जरी मैडीकल कालेज नाहन में नहीं होती, ऐसे मामलों को अक्सर पी.जी.आई. चंडीगढ़ के लिए रैफर किया जाता रहा है। लेकिन यहां पिछले कुछ सालों में उक्त चिकित्सकों की टीम ने कई कठिन सर्जरी की हैं। उक्त सर्जरी को तो चिकित्सकों द्वारा कर दिया गया, लेकिन मल निकासी के रास्ते को पेट से बनाने के बाद कुछ सामान की आवश्यकता टीम को पड़ी लेकिन यह यहां उपलब्ध नहीं हो पाया, जिसके बाद टीम ने पूरा सामान 108 एंबुलैंस कर्मियों की मदद से चंडीगढ़ से मंगवाया, जब एंबुलैंस चंडीगढ़ में किसी अन्य रोगी को लेकर जा रही थी।