क्या बढ़ेगी कथित नेता की मुश्किलें, जांच के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त
नाहन। तथाकथित स्वास्थ्य विभाग रिश्वतखोरी मामले में शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच चुकी है। यही नहीं इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त कर दिया गया है। भ्रष्टाचारी के मामले को लेकर प्रधानमंत्री का जीरो टॉलरेंस रुख भी रहता है। हालांकि मामले की जांच विजिलेंस के द्वारा की जा रही है। मगर पीएमओ कार्यालय से नियुक्त नोडल अधिकारी विजिलेंस के साथ मिलकर जांच करेगा या फिर अपने स्तर पर इसके बारे में तो कुछ कहा नहीं जा सकता।
मगर यह तय है कि अब प्रदेश सरकार इस प्रकरण को लेकर बेस्ट होमवर्क भी कर सकती है। नोडल अधिकारी जांच के बाद पूरी रिपोर्ट पीएमओ के आगे रखेगा। जाहिर सी बात है जिस तरीके से यह चिंगारी सुलग उठी है यह तो तय है कि जल्दी बड़े राजनीतिक भूचाल भी आने तय हैं। जानकारी तो यह भी है कि इस समय कई लोग सर्विलेंस पर आ चुके हैं। बद्दी, नाहन, सोलन के अलावा कौन से ऐसे जिले होंगे जहां कथित फर्म के रिकॉर्ड खंगाले जाएंगे।
जानकारी तो यह भी पुख्ता हो चुकी है कि सिरमौर के श्री रेणुका जी क्षेत्र से संबंध रखने वाला व्यक्ति लाइजनिंग का काम किया करता है। कभी गुरबत की जिंदगी जीने वाला यह शख्स चंडीगढ़ के एक नामी अस्पताल में काम करने के बाद एक नेता के संपर्क में आकर लाइजनिंग का एक्सपर्ट बन गया। जानकारी तो यह भी मिली है कि हाल ही में यह व्यक्ति नाहन के सीएमओ ऑफिस भी गया था। जानकारी तो यह भी मिली है कि कोविड-19 का सामान कथित कंपनी के मार्फत यहां भी पहुंचा था। इस बाबत जब सीएमओ सिरमौर से बात की तो उन्होंने बताया कि कोई भी सामान लेने के लिए परचेज कमेटी बनाई जाती है।
कोई भी गलत तरीका इस्तेमाल नहीं किया जाता है। मगर अब यह भी जांच का विषय होगा कि किन फार्मा कंपनियों से सैनिटाइजर, पीपीई किट और फेस मास्क पर्चेज हुए थे और इन कंपनियों को ड्रग अथॉरिटी के किस अधिकारी का प्रेशर भी डलवाया गया था। आपदा में फायदा ढूंढने के इस मामले को लेकर यह भी स्पष्ट है कि यदि यह जांच संतुष्टि वाली नहीं होगी तो निश्चित ही बड़ी एजेंसी भी इसमें जांच कर सकती है जानकारी तो यह भी है कि न केवल स्वास्थ्य विभाग बल्कि कई अन्य विभागों में नियमों को ताक पर रखकर किए गए कार्यों को लेकर भी कुछ नए मामले उजागर हो सकते हैं।
बरहाल देखना यह है कि स्वास्थ्य निदेशक रहे डॉ गुप्ता पर किस नेता का वरदहस्त था। इसके अलावा कौन से ऐसे निजी अस्पताल के नाम पर फर्म बनी है जिसके नाम पर बड़े पैमाने पर खरीद और सप्लाई ऑर्डर हुए हैं। जब से इस मामले ने गंभीरता पकड़नी शुरू करी है उसके बाद से स्वास्थ्य विभाग सहित कई विभागों में हड़कंप मचा हुआ है। अब यदि पूर्व निदेशक को सेवानिवृत्ति के बाद एक्सटेंशन दी जाने की सिफारिश की गई थी तो इससे पूर्व नाहन मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल को भी कई बार एक्सटेंशन दी गई थी।
उस दौरान भी नाहन के मेडिकल कॉलेज में इक्विपमेंट्स , फर्नीचर आदि कई मामलों को लेकर जांच की मांग उठी थी। बावजूद इसके इस मामले को लगातार दबाए जाने की कोशिश की जाती रही है। यह तो तय है कि यदि सरकार और जांच के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी जनता से तमाम संबंधों के साथ जांच को आगे बढ़ाते हैं तो निश्चित ही बड़े खेलो का पर्दाफाश होगा।