चंडीगढ़। कोविड-19 की महामारी के दौरान उद्यमियों को और राहत मुहैया करवाने के लिए कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में मंत्रीमंडल ने आज पंजाब राज्य औद्योगिक विकास निगम (पी.एस.आई.डी.सी.) और पंजाब वित्त निगम (पी.एफ.सी.) के प्रति उनके बकाए को निपटाने के लिए एक मुश्त निपटारा स्कीम (ओ.टी.एस.) में 31 दिसंबर, 2020 तक वृद्धि करने का फैसला किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम इन कठिन समय में उद्योग को अत्यावश्यक मदद मुहैया करवाने के लिए जरूरी है।
यह नीति उत्साहित करने और कर्ज लेने वाली कंपनियों के उद्यमियों को पी.एस.आई.डी.सी. और पी.एफ.सी. के साथ अपने बकाए के निपटारे के लिए एक बार मौका देगी और उनको क्रमवार 10 करोड़ और 2 करोड़ रुपए की वसूली करने में सहायता मिलेगी। यह कदम रुके हुए औद्योगिक निवेश और जायदाद को जारी करने में सहायता करने के साथ-साथ राज्य को मौजूदा उद्योग जो मार्च में लाॅकडाउन के बाद बंद हो गए थे, के पुनर्जीवन के लिए लाभकारी बनाता है। इससे कर्जे के साथ सम्बन्धित मुकद्मेबाजी घटाने में भी मदद मिलेगी।
कोरोना महामारी को रोकने के लिए की तालाबन्दी के कारण आई आर्थिक रुकावटों के कारण कंपनियों और भागीदारों को पेश मुश्किलों को देखते हुए ओ.टी.एस. में वृद्धि का फैसला किया गया है। उनको किश्तों के भुगतान में मुश्किल आ रही थी और उन्होंने पुनः अदायगी की तारीख में विस्तार करने के लिए विनती की थी। केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया को कर्जे की किश्तों की अदायगी छह महीनों के लिए टालने सम्बन्धी पहले ही निर्देश जारी किये जा चुके हैं। हालाँकि, देरी से भुगतान के समय का ब्याज वसूला जा रहा है।
मीटिंग के बाद एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि ओटीएस नीति-2018 की मियाद 5 मार्च, 2019 को समाप्त होने के बाद इकुइटी और लोनज बारे ओटीएस के लिए प्राप्त आवेदनों को कार्य बाद मंजूरी देते हुए कैबिनेट ने पुनः अदायगी की आखिरी तारीख को दो साल से बढ़ाकर ढाई साल कर दिया है।
कैबिनेट मीटिंग के दौरान यह भी फैसला लिया गया कि नीति के अन्य नियमों और शर्तों के क्लॉज चार (1), जो कहता है कि ‘अगर छह महीनों से अधिक समय तक अदायगी नहीं की जाती तो ओटीएस रद्द कर दी जायेगी’ को ‘नौ महीनों से अधिक समय तक डिफाॅल्टर रहने पर ओटीएस को रद्द कर दिया जाये’ के अनुसार सुधारा जाना चाहिए। इसके अलावा एक किश्त के डिफाल्ट होने पर जुर्माने के तौर पर ब्याज नहीं लिया जायेगा।
भुगतान में विफल रहने पर यदि कोई निगम ओटीएस नीति रद्द कर देती है तो बोर्ड आॅफ डायरैकटर्ज की मंजूरी से कुल बकाया रकम समेत ब्याज मिलने के बाद ओटीएस नीति को फिर से लागू किया जायेगा। समय बीतने के साथ यदि ओटीएस नीति में तबदीली की जरूरत हो तो मुख्यमंत्री की मंजूरी के साथ तबदीली की जा सकती है।