डाक्टर के दर्शन सिर्फ 3 दिन तो फार्मासिस्ट के कतई नहीं
रेणुकाजी। देवभूमि हिमाचल में जहां कि 90 फीसदी आबादी ग्रामीण कही जाती है, स्वास्थ्थ सेवाएं खुद बीमार हो चुकी हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों के लिए इसका एक उदाहरण प्रसिद्ध तीर्थस्थली रेणुका जी है जिसमें जनता की भारी मांग व दबाव में सरकार ने आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी खोल तो दी है लेकिन यह चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के भरोसे हैं।
डिस्पेंसरी में डाक्टर के दर्शन सिर्फ 3 दिन हो पाते हैं, दवा वितरण का काम चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने ही संभाला हुआ है।
उक्त आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी पर आसपास के कई गांवों की हजारों की आबादी के साथ ही रेणुकाजी के तीर्थाटन भ्रमण के लिए बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के आयुर्वेदिक उपचार का जिम्मा है, क्योंकि यहां कोई अन्य स्वास्थ्य केंद्र नहीं है, जो है वह दो-ढाई किलोमीटर दूर है और पहाड़ी इलाके में यह दूरी काफी मानी जाती है। जो ग्रामीण अपना कामकाज व अन्य जिम्मेदारी छोड़कर या किसी दूसरे को सौंप कर इस डिस्पेंसरी में इलाज के लिए आते हैं, यहां डाक्टर के न होने की जानकारी मिलने से उसका रोग तो बढ़ा जाना स्वाभाविक है, शारीरिक थकान व मानसिक पीड़ा अलग झेलनी पड़ती हैं।
डिस्पेंसरी में डाक्टर का निरंतर उपलब्ध न होने व फार्मासिस्ट की कुर्सी खाली होने की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को है ही, तो जनता भी इस ओर बराबर ध्यान आकर्षित करती आ रही है, पर पता नहीं वह दिन कब आयेगा जब रेणुका तीर्थ स्थली में आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी में ये नियुक्तियां हों, वह भी ऐसी सरकार के होते जो कि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने को लेकर बराबर अपनी पीठ थपथपाती रहती है।
जब इस विषय में जिला आयुर्वेदिक अधिकारी कविता शर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमने सरकार को लिखा हुआ है और डॉक्टर की नियुक्ति सरकार ने ही करनी है।
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Friday, April 26