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    Home»हिमाचल प्रदेश»कोविड-19 महामारी के चलते कहावत “दीपक तले अंधेरा” चरितार्थ शीर्ष नेतृत्व नेभ्रष्टाचार मामले में क्यों साधी है चुपी : ठाकुर हर्षवर्धन चौहान
    हिमाचल प्रदेश

    कोविड-19 महामारी के चलते कहावत “दीपक तले अंधेरा” चरितार्थ शीर्ष नेतृत्व नेभ्रष्टाचार मामले में क्यों साधी है चुपी : ठाकुर हर्षवर्धन चौहान

    By Himachal VartaMay 25, 2020
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    himachal varta
    नाहन : कोविड-19 महामारी के चलते कहावत “दीपक तले अंधेरा” चरितार्थ शीर्ष नेतृत्व नेभ्रष्टाचार मामले में क्यों साधी है चुपी : ठाकुर हर्षवर्धन चौहान
    मुख्यमंत्री के अपने विभाग में ही घूस मामले में विजिलेंस द्वारा गिरफ्तारी के बाबजूद मुख्यमंत्री ; आखिर चुप क्यों……..?
    नाहन। भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरैंस के जुमले बोलने वाली सरकार की नाक के तले कहावत,”दीपक तले अंधेरा” चरितार्थ होते हुए भ्रष्टाचार का बेखौफ खेल चल रहा है | जिसका विजिलेंस की टीम ने स्वास्थ्य विभाग के डायरैक्टर की गिरफ्तारी से साफ हो चुका है, जिससे आज पूरा हिमाचल जिसको “देवभूमि” कहा जाता है वो प्रदेश शर्मसार हो गया है | यह गंभीर आरोप प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं शिलाई के विधायक ठाकुर हर्षवर्धन चौहान ने प्रदेश सरकार पर लगाए है।
    उन्होंने कहा कि जहा एक तरफ वैश्विक महामारी से सब लड़ रहे है वही प्रदेश सरकार के अशिकारी महामारी के समय में सैनिटाइजर खरीद घोटाले घूस खोरी ने साबित कर दिया है कि भ्रष्टाचार में डूबा सिस्टम ही नहीं बल्कि सरकार भी इस मसले पर पूरी तरह से संवेदनहीन है क्योंकि कोविड-19 के कहर से सहमी जनता जहां अपने-अपने स्तर पर इस महामारी के बचाव के लिए सरकार को रिलीफ फंड में भारी मदद दे रही है, वहीं सरकार का सिस्टम सरकारी व गैर-सरकारी मदद के दौर में भ्रष्टाचार में लगा हुआ है। हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि वह लगातार विभिन्न समाचार पत्रों के माध्यम से सरकार को इस आशंका से आगाह करते आ रहे हैं क्योंकि इससे पहले आयुर्वैदिक दवाई खरीद घोटाले को भी अंजाम दिया जा चुका है जबकि घटिया पीपीई किट्स खरीदने के आरोप लगातार लगे हुए हैं । उन्होंने कहा कि सैनिटाइजर घोटाले को लेकर भी बीच का सिस्टम उन्हें फीडबैक दे रहा था लेकिन महामारी के दौर में इस अमानवीय कृत्य पर उन्हें भरोसा नहीं हो रहा था। हालांकि अभी भी सैनिटाइजर घोटाले को दबाने का प्रयास चल रहा है और यह फीडबैक भी बीच के सिस्टम से आ रही है। सैनिटाइजर घोटाले में और कई बड़ी मछलियां संलिप्त हैं, डायरैक्टर तो सिर्फ मोहरा मात्र हैं।
    उन्होंने कहा कि अब सरकार जनता को बताए कि इस मामले में और किस-किस की हिस्सेदारी है व किसकी शह पर महामारी के बचाव के नाम पर भ्रष्टाचार का खुला खेल चल रहा है, इस मामले में और कितने लोग गिरफ्तार हुए हैं या होंगे ? क्योंकि अभी तक बड़ी मछलियां जो भ्रष्टाचार की साजिश के इस मामले को सुनियोजित अंजाम दिलवा रही थीं, पकड़ से बाहर हैं।उन्होंने बड़ा सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि क्या यही है, बीजेपी की भ्रष्टाचार मुक्त सरकार ? उन्होंने पूछा है कि 2 महीने की कोविड महामारी का दौर बीत जाने के बावजूद सैनिटाइजर, मास्क व पीपीई किट के टैंडर किस कारण से फाइनल नहीं हो पाए हैं जबकि पड़ोसी राज्य पंजाब में मात्र 15 दिनों के भीतर महामारी से बचाव की इन प्राथमिक चीजों के टैंडर फाइनल कर लिए गए थे व उनकी सुचारू सप्लाई भी शुरू हो गई है।
    उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि दरअसल में असल मामला यह है कि ऊपर से मिल रहे आदेशों के मुताबिक टैंडर देने की सिफारिश किसी और नाम की होती है जबकि नीचे कुछ और होता है। ऊपर की मर्जी के मुताबिक टैंडर के चाहवान टेंडर क्वालीफाई करने की योग्यता नहीं रखते हैं और जो टेंडर क्वालीफाई करने की योग्यता रखते हैं ऐसे सप्लायर ऊपर वालों की पसंद के नहीं हैं, जिस कारण से यह मामला निरंतर लटकता आ रहा है। उन्होंने साफ किया कि वह न सरकार के विरोधी हैं और न सरकार के दुश्मन हैं, वह हर समय सरकार को सकारात्मक सुझाव देकर सहयोग करते आ रहे हैं लेकिन यह दीगर है कि जब-जब उन्होंने सरकार को कोई सटीक सुझाव दिए हैं तो तब-तब सरकार का गुस्सा सार्वजनिक हुआ है। उन्होंने कहा कि अभी तो सैनिटाइजर घोटाला सामने आया है, जिसकी निष्पक्ष एजैंसी से जांच की जरूरत है लेकिन आने वाले वक्त में कोविड-19 के नाम पर हैल्थ डिपार्टमैंट में जिला स्तर पर करोड़ों के घोटालों के खुलासों की लंबी फेहरिस्त आने वाली है। चर्चा यह है कि सैनिटाइजर घोटाले के पीछे सत्तासीन पार्टी के साथ जुड़े नेताओंं की शह है जबकि हैल्थ डिपार्टमैंट के डायरैंक्टर की ऑडियो क्लिप यह साबित करने के लिए काफी है कि इस घोटाले में लाखों का लेन-देन हुआ है लेकिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हैल्थ डिपार्टमैंट के डायरैक्टर की गिरफ्तारी के बावजूद अभी भी कुछ बोलने से बचते नजर आ रहे चुप्पी साधे हुए हैं ।
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