कोरोना के खिलाफ जंग में ‘दादियों’ का बड़ा योगदान, 80-75 साल की उम्र में बना रहीं मास्क
सिरमौर जिला के तहत नाहन विकासखंड की आम्बवाला-सैनवाला पंचायत के गांव आम्बवाला की दो वयोवृद्ध महिलाएं कोरोना के खिलाफ जंग में मिसाल पेश कर रही हैं, जिनकी प्रेरणा से यहां महिला मंडल की सदस्य लगातार थ्री लेयर कपड़े के मास्क तैयार कर रही हैं. गांव की दो वयोवृद्ध महिलाएं 80 वर्षीय लाजवंती व 75 वर्षीय सत्या देवी ने कोरोना महामारी में मास्क के महत्व को समझा और न केवल मास्क तैयार किए, बल्कि अन्य महिलाओं को भी इस कार्य में जोड़ा.
नाहन। कोरोना के खिलाफ जंग में मेडिकल, पैरामेडिकल पुलिस व सफाई कर्मी फ्रंटलाइन में बतौर कोरोना वॉरियर्स दिन-रात अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वहीं, इसके साथ ही समाज में आमजन भी अपने-अपने स्तर पर जन सेवा के कार्य करने में पीछे नहीं है.! आज ग्रामीण क्षेत्र की एक 80 वर्षीय व 75 वर्षीय ऐसी दादियों से रूबरू करवाने जा रहा है, जोकि वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ जंग में अपना बड़ा योगदान दे रही हैं.
सिरमौर जिला के तहत नाहन विकासखंड की आम्बवाला-सैनवाला पंचायत के गांव आम्बवाला की दो वयोवृद्ध महिलाएं कोरोना के खिलाफ जंग में मिसाल पेश कर रही हैं, जिनकी प्रेरणा से यहां महिला मंडल की सदस्य लगातार थ्री लेयर कपड़े के मास्क तैयार कर रही हैं.
उम्र के इस पड़ाव में भी लाजवंती व सत्या देवी में गजब का हौसला
गांव की दो वयोवृद्ध महिलाएं 80 वर्षीय लाजवंती व 75 वर्षीय सत्या देवी ने कोरोना महामारी में मास्क के महत्व को समझा और न केवल मास्क तैयार किए, बल्कि अन्य महिलाओं को भी इस कार्य में जोड़ दिया. यह दोनों दादियां खुद भी मास्क की कटिंग से लेकर मशीन पर सिलाई का कार्य कर रही हैं.
दोनों वयोवृद्ध महिलाओं के मार्गदर्शन में महिला मंडल के सदस्य भी लगातार मास्क बना रही हैं. अब तक 1000 मार्च तैयार किए जा चुके हैं जिन्हें लोगों को निशुल्क ही वितरित किया जा रहा है. एक बात यह भी है कि अब भी महिला मंडल का यह कार्य जारी है, ताकि कोई भी बिना मास्क के न रहे और इस महामारी से बचाव हो सके. यही नहीं महिला मंडल में और भी कुछ बुजुर्ग महिलाएं हैं, जोकि मिलकर इस जनसेवा के कार्य में अपना योगदान दे रही हैं.
80 वर्षीय लाजवंती का कहना है कि अपनी आयु में उन्होंने अब तक ऐसी महामारी नहीं देखी. इसी बीमारी से बचाव के लिए वह मास्क बना रही हैं, जिन्हें सबको फ्री में बांटा जा रहा है. घर के कपड़ों से ही मास्क तैयार कर रहे हैं. जब तक यह महामारी रहेगी, तब तक मास्क बनाती रहेंगी. खुद भी मास्क बना रही हैं और बहू बेटियों से भी तैयार करवा रही हैं.
वहीं गांव की 75 वर्षीय सत्या देवी ने बताया कि घर में बचे हुए कपड़ों से ही वह लोग मास्क तैयार कर रही हैं. अपने जीवन में ऐसी महामारी पहले कभी नहीं देखी थी. इसलिए जब तक यह बीमारी ठीक नहीं होती, तब तक मास्क बनाते भी रहेंगे और उन्हें वितरित भी करते रहेंगे.
अब तक 1000 मास्क बनाकर बांटे: महिला मंडल
महिला मंडल की सदस्य अरुणा तोमर ने बताया कि कोरोना से बचाव को मास्क बनाने में इन दो बुजुर्ग महिलाओं ने सब का मनोबल बढ़ाया और आज महिला मंडल की सभी महिलाएं इसमें योगदान दे रही हैं और मास्क बनाने का सिलसिला लगातार जारी है. अब तक 1000 मास्क तैयार कर बांटे जा चुके हैं, जिसमें महिला मंडल के सभी सदस्य अपना पूरा योगदान दे रही हैं.
कुल मिलाकर कोरोना महामारी से जहां देश में फ्रंटलाइन वॉरियर्स अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं, वहीं घरों में ही रहकर यह महिला शक्ति भी अपना बड़ा योगदान दे रही हैं. जनसेवा के इस कार्य में खासकर इन दो बुजुर्ग महिलाओं के जज्बे को तो क्षेत्र में हर कोई सलाम कर रहा है.